इंदौर न्यूज़ (Indore News)

लक्ष्मीबाई नगर-रतलाम दोहरीकरण प्रोजेक्ट को मिला विशेष दर्जा

  • इसी साल से काम शुरू करने की तैयारी, फतेहाबाद-उज्जैन लाइन भी होगी डबल

इंदौर (Indore)। पश्चिम रेलवे ने लक्ष्मीबाई नगर (इंदौर) से फतेहाबाद (Fatehabad) होते हुए रतलाम और फतेहाबाद-उज्जैन रेल लाइन (Ratlam and Fatehabad-Ujjain Rail Line) के दोहरीकरण प्रोजेक्ट को विशेष दर्जा दे दिया है। रेलवे निर्माण विभाग इसी साल से दोहरीकरण संबंधी काम शुरू करने की तैयारी कर रहा है। पहले चरण में उन जमीनों पर अर्थवर्क और पुल-पुलियाओं के काम शुरू किए जाएंगे, जो पहले से रेलवे की मालिकी की हैं। दोनों योजनाओं को अधिसूचना जारी कर विशेष दर्जा इसलिए दिया गया है, ताकि तेजी से जमीन अधिग्रहण हो सके।

यह अधिसूचना पिछले महीने जारी हो चुकी है। दोनों योजनाओं पर क्रमश: लगभग 1000 करोड़ और 250 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। लक्ष्मीबाई नगर-फतेहाबाद चंद्रावतीगंज-रतलाम सेक्शन 120 और फतेहाबाद चंद्रावतीगंज से उज्जैन तक का हिस्सा 22 किलोमीटर लंबा है। इस तरह कुल 142 किमी लंबे सेक्शन का दोहरीकरण किया जाना है। इस प्रोजेक्ट को बजट में अलग से मंजूरी नहीं दी गई है, बल्कि रतलाम-इंदौर-महू-खंडवा बड़ी लाइन प्रोजेक्ट के तहत दोहरीकरण के काम किए जाएंगे। राऊ-महू लाइन का दोहरीकरण भी इसी प्रोजेक्ट में हो रहा है। जानकारों का कहना है कि इस अधिसूचना से जमीन अधिग्रहण में लगभग 50 प्रतिशत समय कम लगेगा। हालांकि, अभी रेलवे बोर्ड ने अभी प्रोजेक्ट का डिटेल इस्टिमेट मंजूर नहीं किया है, लेकिन अफसरों का कहना है कि प्रक्रिया पूरी होते ही इसी साल रेलवे की जमीन पर काम शुरू कर देंगे। बाकी निजी जमीनों का अधिग्रहण होता रहेगा। इससे काफी समय बचेगा।


भविष्य के लिहाज से बेहद फायदेमंद रूट
– लक्ष्मीबाई नगर-रतलाम और फतेहाबाद-उज्जैन रूट भविष्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। महू-सनावद गेज कन्वर्जन पूरा होने के बाद इन रूटों का महत्व काफी बढ़ेगा।
– फतेहाबाद-उज्जैन रेल लाइन इंदौर-देवास-उज्जैन रेल लाइन का दबाव कम करने में सहायक होगी।
– रेलवे मामलों के जानकार नागेश नामजोशी का मानना है कि रेलवे को बिना वक्त गंवाए अब महू-सनावद के बीच दोहरीकरण लाइन बिछाने के लिए अभी से तैयारी कर लेना चाहिए। फिलहाल इस रूट पर सिंगल लाइन के हिसाब से जमीनें लेने की तैयारी हो रही है। जल्द ही इस लाइन को भी दोहरीकृत करना होगा। फिर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया दोबारा करना होगी, जिसमें समय और पैसा बर्बाद होगा।

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