भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सुनी सुनाई : मंगलवार 22 जून 2021

चर्चा में गुप्ता बंधु की भोपाल यात्रा
कुछ साल पहले तक साउथ अफ्रीका के सबसे बड़े व्यापारी गुप्ता बंधु पिछले माह अपने विशेष विमान से भोपाल क्या आए, खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए। जैकब जुमा के राष्ट्रपति रहते साउथ अफ्रीका की सरकार चलाने वाले सहारनपुर के गुप्ता बंधु फिलहाल साउथ अफ्रीका के मोस्ट वांटेड व्यक्ति हैं। पिछले महीने वे 8 लोगों की टीम के साथ भोपाल आए थे। खबर है कि उन्होंने यहां एक प्रभावशाली मंत्री से मुलाकात की थी। गुप्ता बंधु मप्र में अपने व्यवसाय की संभावनाएं तलाशने आए थे। हमारी पुख्ता जानकारी के अनुसार राजेश गुप्ता के साथ एक अन्य उद्योगपति मुरारी लाल जलान भी थे। इनके अलावा उनके विमान में राजेश जैन, राधेश्याम यादव, सोमेश जैन, सुरेंद्र लाल जैन, संजय जैन और सोनिया नाम की महिला थी। यहां बता दें कि 2012 में मप्र के तीन सांसदों की साउथ अफ्रीका यात्रा के दौरान गुप्ता बंधुओं ने उन्हें अपने घर डिनर पर आमंत्रित किया था। इनमें दो भाजपा के और एक कांग्रेस के सांसद थे। यह तीनों सांसद फिलहाल राजनैतिक लूपलाइन में हैं।

बिक रहा है 10 हजार करोड़ का ग्रुप
चर्चा है कि साउथ अफ्रीका से निकले गुप्ता बंधु भोपाल में एक बड़ा ग्रुप खरीदने की तैयारी में हैं। लगभग 10 हजार करोड़ के इस ग्रुप के बारे में चर्चा है कि यह ग्रुप कभी भी बिक सकता है। प्राइमरी स्कूल से लेकर मेडिकल कॉलेज, मॉल और मीडिया में दखल रखने वाले इस ग्रुप के मालिकों से गुप्ता बंधुओं की चर्चा हुई या नहीं, यह तो नहीं पता, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि गुप्ता बंधु इस ग्रुप को खरीदने में रूचि ले रहे हैं। यह तय है कि यदि गुप्ता बंधु मप्र में व्यवसाय बढ़ाते हैं तो रोजगार के नए साधन जरूर मिलेंगे।

सास अंदर साला बाहर
भाजपा के एक राष्ट्रीय और एक प्रदेश स्तर के बड़े नेताओं की ससुराल जबलपुर में हैं। पिछले दिनों प्रदेश कार्य समिति का गठन हुआ तो सबसे चौकाने वाला निर्णय जबलपुर को लेकर दिखाई दिया। भाजपा के राष्ट्रीय नेता के साले पहले प्रदेश कार्य समिति सदस्य थे। इस बार कार्य समिति की जारी सूची में साले का नाम तो गायब हो गया, लेकिन प्रदेश के बड़े नेता की सास का नाम शामिल कर लिया गया है। भाजपा में इसे लेकर जमकर काना-फूसी हो रही है। भाजपा के ही कई नेता ‘सास अंदर साला बाहरÓ की चर्चा चटकारे लेकर कर रहे हैं।

क्यों मिले अजय-अरूण?
इस सप्ताह कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं अजय सिंह और अरूण यादव की मुलाकात पार्टी में चर्चा का विषय बनी हुई है। अजय सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में अरूण यादव से उनकी मुलाकात को कमलनाथ विरोधी मुहिम के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन सच्चाई बिलकुल अलग है। दरअसल, अरूण यादव कांग्रेस भोपाल में एक नेता के यहां शोक व्यक्त करने गए थे। वहीं अजय सिंह ने उन्हें अपने घर आने का आमंत्रण दिया। अरूण यादव धर्मसंकट में पड़ गए। यदि वे अजय सिंह के घर जाते हैं तो कमलनाथ नाराज हो सकते हैं और यदि नहीं जाते तो अजय सिंह को बुरा लगेगा। अरूण यादव ने बीच का तरीका निकाला और अजय सिंह के घर जाने से पहले कमलनाथ को फोन करके विश्वास में ले लिया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे किसी मुहिम का हिस्सा बनने के बजाए अजय सिंह और कमलनाथ के बीच बनी दूरी को पाटने का काम करेंगे।

नेहा के पद चिन्हों पर लोकेश
मप्र के नए नवेले आईएएस लोकेश जांगिड़ आखिर एक अन्य महिला आईएएस नेहा मारव्या सिंह के पद चिन्हों पर आगे बढ़ गए हैं। 2014 बैच के आईएएस लोकेश जांगिड़ ने शासन प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। बड़वानी से 40 दिन में हटाए जाने से नाराज लोकेश इस मामले में अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह मानने को भी तैयार नहीं हैं। वे लगातार आईएएस एसोसिएशन और राज्य सरकार के खिलाफ मुखर होते जा रहे हैं। अचानक लोकेश की तुलना मप्र में 2011 कैडर की आईएएस नेहा मारव्या सिंह से होने लगी है। 2019 में नेहा मारव्या ने भी वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों और भाजपा नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। शिवपुरी में कलेक्टर को उन्होंने टैक्सी के बिल भेज दिए थे। जबलपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष से उनका जमकर विवाद हुआ था। परिणाम यह हुआ कि 2011 के लगभग सभी आईएएस अधिकारियों को कलेक्टर बनाया जा चुका है, लेकिन नेहा मारव्या मंत्रालय में लूप लाइन में बैठी हुई हैं। लोकेश जांगिड़ जानते हैं कि उनका भी यही हश्र होना है। यही कारण है कि उन्होंने तीन साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र जाने का आवेदन लगा दिया है। उनके आवेदन पर शायद ही विचार हो।

सांसद केपी का उल्टा आसन
बेशक ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के जिन केपी सिंह ने उन्हें हराया था उनसे सिंधिया की पटरी अभी भी ठीक ठाक नहीं बैठ रही। केपी सिंह भी सिंधिया के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं छोड़ते। पिछले दिनों केपी सिंह अचानक ग्वालियर में महारानी लक्ष्मी बाई की समाधी पर पुष्पांजलि भेंट करने पहुंच गए और उन्होंने जानबूझकर ग्वालियर का नाम लक्ष्मी बाई के नाम से रखने का सुझाव दे दिया। खबर लगते ही सिंधिया खेमा सक्रिय हुआ। भाजपा नेतृत्व ने केपी को तत्काल बयान वापस लेने की हिदायद दी। आखिर पांच घंटे बाद केपी को ग्वालियर में ही उल्टा आसन करना पड़ा और वे ग्वालियर का नाम बदलने के बयान से पूरी तरह पलट गए। दरअसल सिंधिया परिवार पर लक्ष्मी बाई के बजाए अंगे्रजों का साथ देने का आरोप है।

और अंत में….
भाजपा और संघ मप्र में अपने विधायकों पर कड़ी नजर रखे हुए है। खबर आ रही है कि गोपनीय तरीके से प्रदेश के सभी विधायकों के व्यवसायों खासकर रेत और अन्य ठेकों में विधायक और उनके परिजनों की मिलीभगत की जांच शुरू कर दी गई है। विधायकों और उनके परिजनों की संपत्तियों का लेखा जोखा भी एकत्रित किया जा रहा है। पिछले दिनों बुंदेलखंड के एक सांसद ने अपनी ही पार्टी के विधायक की भारी संपत्तियों और सभी सरकारी काम में ठेकों को लेकर लंबा चौड़ा चिठ्ठा पार्टी अध्यक्ष को सौंपा था। इसके बाद ही विधायकों पर निगरानी बढ़ाई गई है।

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