उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News) मध्‍यप्रदेश

गांव की तंग गलियों में जीवन गुजारा, अब पद्मश्री पुरस्कार की दौड़ में शुमार

नागदा। उस शख्स ने धूल से भरी गांव की तंग गलियों में बचपना गुजारा। माता-पिता ने मजदूरी से परवरिश की । शिक्षा के नाम पर कभी स्कूल का द्वार नहीं देखा। टिमटिमाती बाती से रोशन झोपड़ी में सारी जिंदगी गुजार दी, लेकिन इस इंसान की जिंदगी में पुरुषार्थ से उपजे परोपकार ने अब पद्मश्री पुरस्कार की दौड़ में सहभागी बना दिया।
इस पुरस्कार की मंजिल की राह में अब सूबे के विधायक व एक अन्य एम.ए ल. ए. ने उन्हें पुरस्कार के लिए अनुशंसा करने का मोह नहीं रोक पाए । यह अनूठी कहानी औद्योगिक नगर नागदा जिला उज्जैन से लगभग 6 किलोमीटर दूर गांव भड़ला निवासी अंबाराम परमार 75 वर्ष की है।

बागरी समाज में जगाया अलख
बागरी समाज में जन्मे अंबाराम को एक घटना ने जीवन की राह को बदलने के लिए प्रेरित किया। उन्हें किसी ने उलाहना दिया कि बागरी समाज अपराधों से नहीं उभर पा रहा है। समाज के इस कलंक को धोने के लिए वे एक आंदोलन को मूर्त देने के लिए कूद पड़े। राष्ट्रीय स्तर पर समाज सुधार के लिए संस्था का गठन किया ।देश के कई प्रांतों में यात्रा कर समाज की कुरीतियों के खिलाफ अलख जगाया। इस संस्था के वे नीव के पत्थर साबित हुए । इस संस्था में राष्ट्रीय संस्थापक के किरदार में आपको याद किया जाता है। समाज में शिक्षा के प्रति विशेष कर युवाओं को जागृत किया । गांव की चौपाल पर बैठ भजन मंडली के माध्यम से समाज में व्याप्त नशा खोरी के दुष्परिणामों पर प्रहार की किए। समाज के लोगों को अपराधों की दुनिया से बाहर आने की सीख भी दी। गांव में कई बार शिविरों का आयोजन कर मध्यप्रदेश शासन के मंत्रियों तक को आमंत्रित किया। समाज सुधार के साथ पर्यावरण के लिए भी कई कार्य किए। महिलाओं को भी अपने अभियान का हिस्सा
बनाया ।
कलेक्टर ने पिछली बार भेजा था आवेदन
अंबाराम के अनुसार हाल में आवेदन भेज दिया है। जिसकी अंतिम तिथि 5अगस्त थी। गत वर्ष भी आवेदन तत्कालीन कलेक्टर के माध्यम से किया था। तत्कालीन कलेक्टर ने फ़ाइल को देखकर रुचि के साथ आवेदन भेजने में मदद की थी। दोनों बार समाज के युवा बंटू बोडाना चंद्रवंशी निवासी नागदा ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन के लिए प्रेरित किया व हर संभव मदद की। अबकी बार भी सभी आवश्यकताओं को पूरी कर नए नियमों के तहत भारत सरकार के समक्ष आवेदन प्रेषित कर दिया है।

पुरस्कार के लिए नहीं किया काम
अंबाराम परमार का कहना है कि जो भी जीवन में सेवा कार्य समाज के लिए किया किसी पुरस्कार को पाने के के लिए नहीं किया । मकसद मात्र समाज का उत्थान करना था। इससे बड़ा कोई पुरस्कार नहीं है। इस नेक कार्य से सुकून मिला।
सहयोगी बोले
परमार के सहयोगी बंटू बोडाना ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में बताया नागदा के विधायक दिलीप सिंह गुर्जर व पूर्व विधायक दिलीप सिंह शेखावत,महिदपुर के विधायक बहादुर सिंह चौहान ने इस पुरस्कार के लिए लिखित में अनुशंसा की है।

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