- मरीज हो रहे हलाकान, शासन के सारे नियम रखे जा रहे ताक पर
जबलपुर। कोरोना काल में जमकर कमाई करने वाले अस्पताल अब भी लोगों को लूटने से बाज नहीं आ रहे है। शासन ने भले ही आयुष्मान कार्ड धारियों को मुफ्त इलाज की व्यवस्था दी हो, लेकिन अस्पताल प्रबंधन मरीज व उनके परिजनों से रुपये ऐंठने से बाज नहीं आ रहे है। ऐसे मामले रोजाना ही सामने आ रहे है, जहां पर कार्ड धारियों से उपचार की 20 फीसदी राशि नगद ली जा रहीं है। जिस कारण कई कार्डधारी निजी अस्पतालों से शासकीय अस्पतालों की ओर रुख कर रहे है। प्राप्त जानकारी अनुसार कोविड-19 में मनमाने रेट पर उपचार करने वाले अस्पतालों ने जमकर चांदी काटी। जब मामल हाईकोर्ट के संज्ञान में आया तो आनन-फानन में उपचारों की दर निर्धारित की गई। वहीं न्यायालय के आदेश पर ही तेजी से आयुष्मान कार्ड बनाने का क्रम शुरु हुआ, लेकिन आज भी अधिकांश लोगों के कार्ड नहीं बन सके है। जिसके पीछे की वजह समग्र आईडी का नंबर एक्सेप्ट न करना बताय जा रहा है।
वर्षाे पूर्व बनी समग्र आईडी लेकर भी लोग आयुष्मान कार्ड बनवाने सेंटरों के चक्कर काट रहे है। वहीं मौका का फायदा उठाते हुए अस्पताल प्रबंधनों ने भी फिर से लूटखसोट शुरु कर दी है। कुछ निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारियों से 20 फीसदी राशि जमा कराकर उपचार कराया जा रहा है, वहीं जानकारी के अभाव में किस तरह का उपचार और कौन सा उपकरण का प्रयोग कर मनमाने दाम वसूल जा रहे इसको लेकर भी संदेह बना हुआ है। मरीजों परेशानी ये है कि वह अपने को लेकर किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहते, इस वजह से जैसा चिकित्सक सलाह दे रहे है, वैसे ही मजबूरीवश करते जा रहे है।
- केस-1: बरेला निवासी एक 55 वर्षीय वृद्ध ने बताया की उनकी रीढ़ की हड्डी में समस्या आई थी, जिससे खड़े होने व चलने में समस्या आ रहीं थी, वह आयुष्मान कार्ड धारी है, लेकिन जब वह निजी अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सकों ने साढ़े 3 लाख का खर्च बता दिया और रुपये जमा करने पर ही उपचार की बात की। जिससे वह अब मेडीकल में अपना उपचार करा रहे है।
- केस-2: मंडला से राईट टाउन स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचे आयुष्मान कार्ड धारी मरीज को एंजियोप्लास्टी के लिये 20 हजार से 25 हजार रुपये की राशि अलग से कैश जमा करने के लिये कहा गया। परिजनों ने आपत्ति दर्ज करायी, लेकिन मजबूरी में उन्हें राशि जमा करनी पड़ी।