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मोदी के संसदीय क्षेत्र में बड़ी लापरवाही, मौत कोरोना से…डेथ सर्टिफिकेट टाइफाइड का!

वाराणसी। कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की रफ्तार भले ही मंद पड़ी हो, लेकिन अभी भी मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है. यूपी में मौतों के आंकड़ा छिपाने और उसमें फेरबदल करने के मामले भी सामने आ रहे है। ऐसा ही एक मामला प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र के गांव में देखने को मिल रहा है. सेम की खेती के लिए मशहूर वाराणसी(Varanasi) के गांव रमना में चारों ओर मातम पसरा हुआ है.
दावा किया जा रहा है कि कोरोना(Corona) की इस दूसरी लहर(Second Wave) में गांव में 40-45 मौतें हो चुकी हैं. कई ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया और जो अस्पताल पहुंचे भी थे उनके कोरोना से मौत के सर्टिफिकेट में बड़ी धोखाधड़ी सामने आ रही है. इसी धोखाधड़ी का शिकार हुआ है रमना गांव का पटेल परिवार भी.
जब 3 दिनों के अंदर इस परिवार के दो वरिष्ठ सदस्य काल के गाल में समा गए. सबसे पहले 50 वर्षीय रामरथी सिंह की मौत नजदीक ही एक निजी अस्पताल में 27 अप्रैल को हुई और एंटीजन टेस्ट में रामरथी की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी, लेकिन अभी तक परिवार को कोई डेथ सर्टिफिकेट तक नहीं मिला.



लापरवाही या जानबूझकर मृतकों के आंकड़ों को छिपाने की कवायद यहीं नहीं रुकी. रामरथी सिंह के बड़े भाई 74 वर्षीय रमाशंकर की भी मौत दो दिन बाद ही इलाके के एक दूसरे निजी अस्पताल में हो गई. रमाशंकर की तो 28 को उसी निजी अस्पताल में आरटी-पीसीआर जांच की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी, लेकिन बजाए कोरोना से मौत की वजह वाले सर्टिफेकट के इनको साधारण टाइफाइड और निमोनिया की मौत को वजह बताने वाला डेथ सर्टिफिकेट थमा दिया गया.
दोनों ही मृतकों के पोते जयप्रकाश ने डेथ सर्टिफिकेट की शिकायत पर बताया कि अभी वे लोग तेरहवीं में व्यस्त थें. अब अस्पताल जाकर पता लगाएंगे. उन्होंने बताया कि इसके लिए अस्पताल तो जिम्मेदार है. तो वहीं पूरे कुनबे के मुखिया के तौर पर बचे एक मात्र दोनों मृतकों के भाई बुजुर्ग रामजतन ने बताया कि अस्पताल जाने के बाद मरीज का ठीक से जांच और इलाज हो. और जांच के बाद रिपोर्ट आ रही है कुछ, बताया कुछ जाता है और दवा कुछ और चलाई जा रही है. इसके लिए सरकार या अस्पताल किसको दोषी माना जाए? सरकार को चाहिए कि इसपर लगाम लगाया जाए.
जांच में पॉजिटिव होने के बाद भी मृतक के डेथ सर्टिफिकेट कोरोना का न मिलकर कुछ और कुछ मिल रहा है? के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इसके लिए अस्पताल और प्रशासन जिम्मेदार है. प्रशासन जांच क्यों नहीं करता है. ऐसे न मरने वालों की संख्या हजारों में है. लोग परेशान हैं, लेकिन सरकार का ध्यान नहीं है. कोरोना से मौत की बात को छिपाया गया.

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