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घोषणापत्रों में सुधारों की मांग करने वाले कृषि कानून पर कर रहे किसानों को गुमराह : राधामोहन सिंह

झांसी। वीरांगना नगरी झांसी में अपनी पहली यात्रा के दौरान पहुंचे पूर्व केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह ने कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष पर तीखा हमला किया।

कहा कि जो पार्टियां कभी अपने घोषणापत्रों में कृषि कानूनों में सुधार की मांग करतीं थी वे ही आज वास्तविकता में यह सुधार लागू करने वाली केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की मंशा को लेकर किसानों को गुमराह कर रही हैं। किसानों के वास्तिविक हितों को दरकिनार कर आंदोलन को हवा देने का काम कर रही हैं। वह जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी की दूरी पर स्थित रक्सा स्थित एक विवाह घर में आयोजित किसान पंचायत को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी देश के किसान के हित में दिन रात लगे हैं। उसी के तहत काफी विचार विमर्श के बाद यह कृषि कानून बनाये गये हैं जो पूरी तरह से किसानों के हित में हैं लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि कभी अपने अपने चुनावी घोषणा पत्रों में ऐसे ही सुधारों की बात करने वाली विपक्षी पार्टियां आज किसानों को गुमराह कर उनके आंदोलन को हवा देने का काम कर रही हैं।

कहा कि विपक्ष द्वारा किसानों को बरगलाया जा रहा है कि मंडी समाप्त कर दी जायेगी, मंडी को कोई समाप्त नहीं कर सकता। जहां तक एमएसपी की बात है तो एमएसपी तो मोदी सरकार के आने के बाद डेढ गुना हुआ। जब तक मोदी जिंदा है एमएसपी को दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती यह यूं ही बनी रहेगी और आगे चलेगी लेकिन बाजार भी खुला रहेगा जहां किसान को अच्छा दाम मिलेगा वहां भी किसान जायेगा। सब किसानों के लिए नारे लगाते हैं लेकिन मोदी पूरी ईमानदारी से इस ओर काम करतें हैं।

उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष जो काम पिछले 70 साल में नहीं कर सका उसे मोदी सरकार ने चंद वर्षों में कर दिया। इस पर विपक्ष बौखला गया है और इसे सरकार के कोई काम पसंद नहीं आ रहे हैं। न इन्हें नये संसद भवन का निर्माण पच रहा है , न सीमाओं को मजबूत करने के लिए हो रहा काम पच रहा है,किसान के हित की बात भी नहीं पच रही है। देश के अंदर विपक्ष ने पहले एनआरसी के नाम पर लोगों को और अब किसानों को गुमराह करने का काम किया है।

अब मोदी सरकार ने किसान के हित में जो काम किया उसकी मांग कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में की थी, पंजाब की सरकार ने अपने घोषणापत्र में लिखा था और स्वामीनाथन ने अपनी रिपोर्ट में कृषि कानूनों में सुधार की बात कही थी लेकिन आज जब मोदी सरकार ने यह काम किया तो बिना बात किसानों को गुमराह किया जा रहा है। प्रधानमंत्री किसानों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं जब मैंने कृषि मंत्री के रूप में शपथ ली थी तो दूसरे दिन प्रधानमंत्री ने मुझे बुलाकर यह पता करने को कहा था कि क्यों देश के किसान को यूरिया समय पर नहीं मिलता उसे ब्लैक में खरीदना पड़ता है।

जो काम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में छह साल पहले शुरू हुए वह यदि 10 से 15 साल पहले शुरू होते तो आज देश की यह हालत नहीं होती। बुंदेलखंड के इस सूखा प्रभावित क्षेत्र में मोदी सरकार से पहले कोई खेत में तालाब नाम की योजना चलती थी क्या। कांग्रेस ने अपने लंबे शासनकाल में क्या किया। यदि अटल बिहारी बाजपेयी न होते तो एक फोर लाइन की सड़क नहीं दिखायी देती। किसान को गांव से बाजार तक आने के लिए सड़कें नहीं थीं , पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ने के लिए सड़कें नहीं थीं।आज गांव के अंदर सड़कों का जाल बिछा है और फोर लाइन सड़कों का देश में जाल बिछ रहा है।

कांग्रेसियों ने लंबे समय तक देश पर शासन किया लेकिन परिवार को मजबूत बनाने में किया। मोदी जी तो देश को लोगों को गांव को मजबूत बनाने के काम में लगे हैं । इन्होंने दिल्ली या लखनऊ में बैठकर किसान के हित में नारे लगाये जरूर लेकिन अपने परिवार को मजबूत करने का काम किया। लेकिन मोदी जी ने केवल गांव या किसान को मजबूत करने की बात न केवल करते हैं बल्कि रात में भी उनके लिए काम करते हैं। किसान मंडियों के अंदर अपना माल बेचें यह अच्छा है लेकिन क्या हम उसे यह विकल्प नहीं देंगे कि जहां अच्छा दाम मिले वहां भी जाकर बेचे। कुछ बिचैलिये जिनके हित इन नये कानूनों से प्रभावित हो रहे हैं वह किसानों के नाम पर आंदोलन को हवा देने में लगे हैं। (एजेंसी, हि.स.)

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