क्राइम देश

मणिपुर हिंसा : तलाशी अभियान में खुलासा-घरों से मिल रहे AK और इंसास राइफल

इंफाल (Imphal)। मणिपुर में पुलिस शस्त्रागार (Police arsenal in Manipur) से लूटे गए हथियार बरामद (Weapons recovered) करने के लिए सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान जब्त किए गए हथियारों में बड़ा हिस्सा ऐसे हथियारों का था, जिन्हें उखाड़े गए बिजली के खंभों या गैल्वनाइज्ड लोहे (GI) की पाइप से बनाया गया था। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।

अधिकारियों ने बताया कि ऐसे हथियारों के अलावा, झड़प में शामिल पर्वतीय इलाकों के समूहों के हथियारों में AK राइफल और इंसास राइफल जैसे अन्य नियमित हथियार भी हैं। दक्षिणी मणिपुर के काकचिंग जिले में स्थित इस शहर के अधिकारियों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस पर्वतीय समुदाय के लोग पारंपरिक रूप से शिकारी होते हैं और उनमें घातक हथियार बनाने की क्षमता होती है।

हाल ही में, यहां के दूरदराज के गांवों के साथ-साथ पड़ोसी चुराचांदपुर जिले में भी कुछ बिजली के खंभे गायब मिले थे जबकि पानी के पाइप उखड़े हुए देखे गए थे। अधिकारियों ने कहा कि ये इसका पर्याप्त संकेत हैं कि इनका इस्तेमाल हथियार बनाने में किया गया, जिनका इस्तेमाल झड़प के दौरान दूसरे समुदाय पर निशाना बनाने के लिए किया जाता है। यह समुदाय परंपरागत रूप से तलवार, भाले, धनुष और तीर का उपयोग करता था। अधिकारियों ने कहा कि बाद में इन्होंने ऐसी बंदूकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिन्हें थिहनांग भी कहा जाता है। उखाड़े गए बिजली के खंभों का उपयोग स्वदेशी बंदूक बनाने के लिए किया गया, जिसे पम्पी या बम्पी भी कहा जाता है। इनमें लोहे के टुकड़ों और अन्य धातु की वस्तुओं का इस्तेमाल गोलियों या छर्रों के तौर पर किया जाता है।



अधिकारियों ने कहा कि इनका निर्माण ग्रामीण लोहारों की ओर से किया जाता है, जिन्हें थिह-खेंग पा भी कहते हैं। पहाड़ी समुदाय गुरिल्ला युद्ध की अपनी तकनीकों के लिए भी जाना जाता है। अक्सर सामने आने वाले लोगों पर अचानक हमला करके या खड़ी इलाकों में बड़े पत्थर गिराकर उन पर हमला करके अपनी रक्षा करता है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है।

तीन मई को मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय झड़पों की पृष्ठभूमि में सुरक्षा बल राज्य में हिंसा रोकने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। बहुसंख्यक मेइती समुदाय को आशंका थी कि 2008 में हिंसा समाप्ति का समझौता करने वाले कुकी उग्रवादियों ने जातीय संघर्ष के मद्देनजर अपने हथियार वापस ले लिए हैं। कम से कम 25 कुकी समूह समझौते से बंधे हुए हैं और उनके कैडर और नेताओं को निर्दिष्ट शिविरों में रखा गया है। इन कैडर की पहचान राज्य और केंद्रीय नेतृत्व की ओर से की जाती है। इन समूहों के हथियार और गोला-बारूद को ‘डबल-लॉकिंग सिस्टम’ के तहत सुरक्षित रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि झड़प के दौरान पुलिस और सेना द्वारा औचक निरीक्षण किया गया और पाया गया कि केवल 2 हथियार गायब थे।

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