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मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी से फरवरी आरंभ, जानें महीने के प्रमुख व्रत त्योहार

डेस्क। फरवरी माह की शुरुआत माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के साथ हो रही है। महीने की शुरुआत ही सोमवती अमावस्या के साथ हो रही है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और मौन रखकर ईश्वर का ध्यान किया जाता है इसलिए इसे मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद गुप्त नवरात्र, बसंत पंचमी, आरोग्य सप्तमी आदि जैसे महत्वपूर्ण त्योहार भी इसी माह में पड़ेंगे।

इन सभी व्रत त्योहार का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रहा है। फरवरी माह दो चीजों के लिए बहुत खास माना जा रहा है। पहला इस महीने 2 एकादशी जया और विजया एकादशी पड़ रही हैं और दूसरा इस महीने पांच ग्रह राशि परिवर्तन करने वाले हैं, जिनमें से कुछ ग्रह मार्गी होंगे तो कुछ अस्त। ऐसे में ग्रह-नक्षत्र और श्रद्धा व आस्था की दृष्टि से श्रद्धालुओं के लिए यह माह काफी विशेष रहने वाला है।

मौनी अमावस्या: माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और दान-पुण्य आदि धार्मिक कार्य किए जाते हैं। इस शुभ दिन पर महोदया और सर्वार्थ सिद्धि जैसे महायोग भी बन रहे हैं। माघ मास की अमावस्या 1 फरवरी दिन मंगलवार को पड़ रही है, इसलिए इसे भौमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाएगा। ग्रंथों और पुराणों में वर्णन मिलता है कि इस शुभ दिन पर देवी-देवता पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।


गुप्त नवरात्र आरंभ: साल में चार बार नवरात्र आते हैं, जिनमें दो नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्र बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं। वहीं दो नवरात्र माघ और आषाढ़ में गुप्त रूप से मनाए जाते हैं, जिनको गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है। इन गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है और ये पूजा तांत्रिक व ऋषि मुनि करते हैं। गृहस्थ लोगों के लिए इन नवरात्र में पूजा-पाठ नहीं किया जाता है क्योंकि मां की साधना गुप्त रूप से की जाती है। माघ मास की गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू होगी और 11 फरवरी को समापन होगा।

बसंत पंचमी: माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 5 फरवरी दिन शनिवार को है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि को ध्वनि प्रदान करने के लिए अपनी पुत्री सरस्वती को प्रकट किया था। इसी वजह से इस दिन को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। शास्त्रीय विधि के अनुसार, इस शुभ दिन पर व्रत करने के विधान नहीं लेकिन मां सरस्वती की पूजा से पहले भोजन न करने की परंपरा चली आ रही है।

रथ आरोग्य सप्तमी: माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को माघी सप्तमी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 7 फरवरी दिन सोमवार को है। माघी सप्तमी को आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी, अचला सप्तमी, रथ सप्तमी और पुत्र सप्तम के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने दिव्य प्रकाश के साथ अवतरित हुए थे और इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से ग्रहों की स्थिति अनुकूल रहती है। इस दिन नमक का प्रयोग करना वर्जित बताया गया है। रथ आरोग्य सप्तमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान-पुण्य किया जाता है, जिससे आयु, आरोग्य व संपत्ति की प्राप्ति होती है।

जया एकादशी व्रत: माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 12 फरवरी दिन शनिवार को है। पुराणों में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं जो व्रत नहीं रखते हैं और केवल एकादशी व्रत की कथा सुनते हैं, उनको वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिल जाती है, साथ ही भूत-प्रेत और पिशाच योनियों में भटकना भी नहीं पड़ता।


माघ पूर्णिमा, संत रविदास जयंती: माघ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में माघी पूर्णिमा को बहुत पुण्यदायी माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान कर दान व जप-तप करते हैं। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन रविदास जयंती भी मनाई जाती है। महान संतों में संत रविदास की गिनती की जाती है। संत रविदास के शिष्य व उपासक इस दिन पूजा-पाठ करते हैं और लंगर भी लगाया जाता है।

छत्रपति शिवाजी जयंती: भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, छत्रपति शिवाजी महाराज को नहीं जानता है। वह देश के वीर सपूतों में से एक थे, जिनको मराठा गौरव भी कहा जाता है। छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था। उनके जन्मदिवस के अवसर पर ही हर वर्ष शिवाजी जयंती मनाई जाती है। महाराष्ट्र में तो इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है और शिवाजी की जयंती, मराठा साम्राज्य के पहले छत्रपति और संस्थापक के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कई सालों तक मुगलों के साथ संघर्ष किया और उनको धूल चटाई।

विजया एकादशी: वैसे तो 24 एकादशी होती हैं लेकिन मलमास या अधिकमास की वजह से इनकी संख्या 26 हो जाती है। फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 27 फरवरी दिन रविवार को है। एकादशी व्रत को सभी व्रतों में उत्तम माना जाता है। जैसे की इसके नाम से पता चल रहा है कि यह एकादशी विजय प्रदान करने वाली मानी गई है। इस एकादशी के व्रत करने से सभी तरह की बाधा, पीड़ा और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। कितनी भी बड़ी समस्या हो, विजया एकादशी आपको उन समस्याओं पर विजय दिलाने की क्षमता रखती है।

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