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मिशन चंद्रयानः चांद पर उतरा विक्रम, दक्षिण ध्रुव पर लहराया तिरंगा

– दीपक कुमार त्यागी

देश व दुनिया में बेहद प्रतिष्ठित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपनी होनहार टीम के बलबूते आये दिन देश को गौरवान्वित करने वाले नित-नए कीर्तिमान स्थापित करके विश्व में भारत का परचम लहराने का कार्य निरंतर बखूबी कर रहा है। उसी क्रम में इसरो ने अपने मिशन चंद्रयान -3 के द्वारा 23 अगस्त, 2023 को चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहली बार उतर कर दुनिया में इतिहास रचते हुए मां भारती व तिरंगे की शान बढ़ाने का ऐतिहासिक कार्य कर दिया है। इस ऐतिहासिक मिशन के दौरान चंद्रयान-3 जहां अंतरिक्ष में 40 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की तेज रफ्तार से चला था, वहीं साफ्ट लैंडिंग के वक्त उसकी गति कछुए की गति से भी कम थी, जो कि विज्ञान का एक आश्चर्यजनक कारनामा है।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग करके भारत के वैज्ञानिकों ने 23 अगस्त, 2023 की सांय 6 बजकर 4 मिनट पर अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व में अपना परचम लहराने का कार्य करते हुए एक नया इतिहास रच दिया है। यहां आपको याद दिला दें कि इसरो के होनहार वैज्ञानिकों ने 14 जुलाई, 2023 को शुरू हुए मिशन चंद्रयान-3 के द्वारा लैंडर (विक्रम) व रोवर (प्रज्ञान) की चांद पर उतरने के लिए सफलता पूर्वक लॉन्चिंग करके इतिहास रचने की तरफ सफलतापूर्वक एक कदम बढ़ा दिया था। लेकिन उसी बीच अचानक रूस से आयी एक खबर ने दुनिया को आश्चर्यचकित करने का कार्य किया था कि चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर भारत से पहले पहुंचने की कतार में रूस भी शामिल है लेकिन 20 अगस्त, 2023 को रूस का स्पेसक्राफ्ट लूना-25 संतुलन खोने के चलते चांद की सतह से टकराकर क्रैश हो गया था। उस वक्त रूस की स्पेस एजेंसी ने बताया था कि लैंडर एक अनियंत्रित कक्षा में घूमने के बाद क्रैश हो गया, क्योंकि 19 अगस्त को ही लूना-25 से रूस की स्पेस एजेंसी का संपर्क टूट गया था। हालांकि रूस ने लगभग 50 वर्षों बाद चांद पर कोई मिशन भेजा था। इसके बावजूद उसे सफलता नहीं मिली। उसके बाद से ही पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों की निगाहें भारत के मिशन चंद्रयान -3 पर लगी हुई थी।


हालांकि मिशन चंद्रयान -3 से देश के हर एक देशभक्त भारतीय व दुनिया के वैज्ञानिकों को सफलता हासिल करने की बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं। हर भारतीय चाहता था कि भारत के वैज्ञानिक एक बार फिर से चाँद पर तिरंगा लहराएंगे। इसके लिए वैज्ञानिक दिन-रात एक करके मिशन चंद्रयान-3 पर नज़र लगाए हुए थे। उसके चलते ही चांद के दक्षिण ध्रुव पर पहली बार साफ्ट लैंडिंग कराने के सपने को अब देश के वैज्ञानिकों ने साकार करके दिखा दिया है।

मिशन चंद्रयान-3 की सफलता में इसरो के लगनशील कर्मयोगियों का बेहद अनमोल योगदान है। उन्होंने पूर्व के मिशन की असफलताओं से गहरा सबक लेकर उस वक्त आयी सभी समस्याओं का निदान करके आज दुनिया में भारत का नाम बुलंद करने का कार्य बखूबी किया है। इस मिशन की सफलता के लिए इसरो व मोदी सरकार दोनों ही शाबाशी के हकदार हैं। जहां एक तरफ इसरो की टीम दिन-रात एक करके मिशन के सफल बनाने के लिए कार्य करती रही, वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार ने भी पूरे मिशन पर पैनी नजर रखते हुए मिशन के लिए खजाने का मुंह खोलकर रखा। इस मिशन की सफलता के बाद अब भारत के वैज्ञानिकों का चांद पर किया गया अनुसंधान भविष्य में सम्पूर्ण मानव जगत की भलाई के लिए अवश्य काम आयेगा और भारत का यह मिशन इतिहास में हमेशा के लिए स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो जाएगा।

।। जय हिन्द जय भारत ।।
।। मेरा भारत मेरी शान मेरी पहचान ।।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार,स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं

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