इन्दौर। एक तरफ प्रदेश में बारिश के अते-पते नहीं है, जिसके चलते मुख्यमंत्री (chief minister) सूखे के मद्देनजर जहां आपात बैठक बुलाई, वहीं आज वे बाबा महाकाल (baba mahakal) की शरण में भी बारिश करवाने की प्रार्थना लेकर पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे। वहीं प्रदेश में मांग की तुलना में लगभग 8 हजार मेगावॉट बिजली अधिक उत्पादित हो रही है, बावजूद इसके कटौती की जा रही है। हालांकि मुख्यमंत्री ने किसानों को पर्याप्त बिजली (electricity) उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
विधानसभा चुनाव के चलते जहां शिवराज सरकार धड़ाधड़ घोषणाएं कर रही है और खाली पड़े खजाने के बावजूद लोन लेकर रियायतें बांटी जा रही है। लेकिन एक बड़ा संकट प्रदेश के अधिकांश जिलों में सूखे जैसे हालात निर्मित होने से हो गया है। दरअसल मानसून बीते कई दिनों से गायब है और खेतों में फसलें तैयार खड़ी है, जिन्हें पानी की अत्यंत जरूरत है अन्यथा किसानों को बड़ा नुकसान होगा और इसका नुकसान चुनाव में उठाना पड़ सकता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने सूखे के हालात की समीक्षा करने के साथ-साथ बिजली कम्पनी के अधिकारियों को भी तलब किया और स्पष्ट निर्देश दिए कि किसानों को कम से कम 10 घंटे पर्याप्त बिजली दी जाए। अभी तो शहर से लेकर गांवों में भी घंटों की अघोषित कटौती चल रही है। ऊर्जा विभाग के ही आंकड़े अगर देखें तो मध्यप्रदेश अब सर प्लस बिजली के मामले में अव्वल है और निजी तथा सरकारी बिजली संयंत्रों में 22 हजार मेगावॉट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है और बिजली की मांग से लगभग 8 हजार मेगावॉट से ज्यादा बिजली बन रही है। बावजूद इसके कटौती के साथ-साथ बिजली के भारी-भरकम बिलों से भी लोग परेशान हैं। गरीब तबके को तो बिजली बिलों में सब्सिडी दी जा रही है, मगर मध्यमवर्गी और अन्य परिवारों को लगातार अधिक राशि के बिल चुकाना पड़ रहे हैं। अब बिजली कम्पनियों को कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सिचांई के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराई जाए और बारिश ना होने के चलते जो जल विद्युत गृह हैं उनमें उत्पादन भी कुछ घटा है। 14 हजार मेगावॉट की मांग फिलहाल प्रदेश में बिजली की है और उत्पादन इससे अधिक हो रहा है।
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