दमोह: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के दमोह (Damoh) में एक पिता अपनी बेटी की डोली उठते नहीं देख पाया. बेटी की शादी के महज 8 घंटे पहले ही उसका निधन हो गया. ऐसे में एक ही दिन पिता की अर्ठी और बेटी की डोली उठी. इस हृदय विदारक घटना देखकर वहां मौजूद हर कोई भावुक हो गया. ग्रामीणों ने परिवार बनकर बेटी की शादी को संपन्न कराया.
दरअसल, दमोह के हटा ब्लॉक के चकरदा गांव में 15 जनवरी को रात 11 बजे अशोक रैकवार की अचानक मौत हो गई. अगले दिन यानी 16 जनवरी को सुबह 8 बजे अशोक की बेटी शांति रैकवार का शादी होनी थी. हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार मृत्यु के बाद सूतक लगने के कारण घर में विवाह संभव नहीं था.
पिता की मृत्यु के बाद बेटी के घर में सन्नाटा पसरा था. परिजन शादी को लेकर परेशान थे. ऐसे में चकरदा और धूमा गांव के लोग पीड़ित परिजन से मिले और धूमा गांव के एक मंदिर से शादी कराने का फैसला लिया गया.सभी ग्रामीणों ने एकजुट होकर शादी की तैयारियां की और आर्थिक मदद भी की. गांव के ही रहने वाले बुजुर्ग भग्गन रैकवार ने पिता बनकर कन्यादान किया.
मृतक अशोक रैकवार की आठ बेटियां हैं. उनको एक भी बेटा नहीं है. 1 साल पहले बड़ी बेटी की शादी हुई थी. शांति रैकवार दूसरे नंबर की बेटी है, जिसकी शादी हुई है. अभी 6 बेटियां और कुंवारी हैं. जानकारी के अनुसार, अशोक लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे. 16 जनवरी को ही उनकी अर्थी उठी और उसी दिन बेटी की डोली भी उठी.
शादी को लेकर दूल्हे अंकित ने ग्रामीणों के इस सहयोग की सराहना करते हुए कहा-ससुर के निधन के बाद गांव वालों ने जो मदद की, वह हमेशा यादगार रहेगा. गांव के पुष्पेंद्र पटेल ने बताया की सूतक के कारण घर में विवाह संभव नहीं था. इसलिए पड़ोसी गांव के मंदिर में शादी कराई गई.
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