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मप्रः क्षिप्रा शुद्धिकरण से बढ़कर पुण्य का कोई कार्य नहीं : सीएम शिवराज

मुख्यमंत्री बोले-क्षिप्रा शुद्धिकरण के लिए कराएंगे वैज्ञानिक परीक्षण, खान नदी का प्रदूषित जल को मिलने से रोका जाएगा

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि पवित्र नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के शुद्धिकरण से बढ़कर मेरे लिए पुण्य का कोई कार्य नहीं है। खान नदी का प्रदूषित जल क्षिप्रा में मिलने से रोकने के लिए कार्य-योजना बनाई जाएगी। वैज्ञानिक परीक्षण कराकर क्षिप्रा का शुद्धिकरण तेजी से कराएंगे। उन्होंने कहा कि संतों के सुझावों एवं भावनाओं का पूरा आदर करते हुए सर्वेक्षण कराया जाएगा।

मुख्यमंत्री चौहान शनिवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर उज्जैन के साधु समाज के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने शॉल-श्रीफल भेंटकर और पुष्पाहार पहनाकर साधु- संतों का सम्मान किया। इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि साधु-संतो की भावनाओं का पूरी तरह आदर करते हुए हम सब मिलकर क्षिप्रा नदी के शुद्धिकरण का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि सर्वे के बाद विकल्पों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। उज्जैन में सप्तसागर के संरक्षण के भी प्रयास किए जाएंगे। सप्तसागर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री को महंत डॉ. रामेश्वर दास ने बताया कि इंदौर से छोड़े जाने वाला प्रदूषित जल खान नदी के माध्यम से क्षिप्रा में मिलता है। इससे क्षिप्रा का जल प्रदूषित होता है। उन्होंने कहा कि क्षिप्रा नदी मोक्षदायिनी है। क्षिप्रा को प्रदूषण से बचाने के लिए उन्होंने त्रिवेणी से कालियादेह-महल तक 13 किलोमीटर लंबी खुली नहर बनाने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि उज्जैन के 147 स्थानों के विकास के लिए पर्याप्त धनराशि मुहैया कराई गई है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।

प्रातिनिधि मंडल में महंत डॉ. रामेश्वरदास, महंत रामेश्वरगिरी, महंत राघवेन्द्र दास, महंत देवगिरी, महंत काशीदास, महंत प्रेमगिरी, महंत रामचंद्रदास, महंत सेवानंद गिरी, महंत विशालदास, महंत दिग्विजयदास, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानदास, राजेश त्रिवेदी, मुकेश जोशी एवं विवेक जोशी सहित अन्य लोग उपस्थित थे। (एजेंसी, हि.स.)

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