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MSP 1868 रुपए प्रति क्विंटल किया तय, मगर किसान 1100 रुपए क्विंटल धान बेचने को मजबूर

गया। नए कृषि कानून और न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाये जाने समेत कई मुद्दों को लेकर देश की राजधानी समेत विभिन्न राज्यों में आन्दोलन हो रहें हैं। बिहार सरकार ने धान के लिए 1868 रूपया न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है, लेकिन गया जिला में अभी सरकारी स्तर पर धान की खरीददारी शुरू नहीं हो पायी है, इसलिए जरूरतमंद किसान बिचौलियों के हाथों औने-पौने दाम पर अपना धान बेचने को मजबूर हैं। इन किसानों का धान खरीदने के लिए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ो अस्थायी दुकान खुल गयें हैं जहां किसान खुद अपने भाड़ा से धान लाकर 1100 से 1350 रूपया प्रति किंवटल बेच रहे हैं। ऐसे अस्थायी दुकान से बड़े-बड़े व्यापारी थोक में खरीददारी करके ट्रक के माध्यम से दूसरे राज्यों में भेज रहें हैं।

गया-फतेहपुर रोड पर अस्थायी दुकान संचालित करने वाले बिचौलिया सुभाष कुमार और मिंटू कुमार ने बताया कि वो लोग किसानों से मंसूरी धान 1100 रूपये और रूपाली धान 1350 रूपये प्रति किवंटल खरीद रहें हैं और 25 से 50 रूपया मार्जिन लेकर बड़ा व्यापारी को धान बेच रहें हैं। धान की खरीददारी पिछेल 15 दिनों से चल रही है। वो लोग सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य किसान को नहीं दे सकतें हैं क्योंकि बड़े-बड़े व्यापारी ज्यादा कीमत देने को तैयार नहीं हैं।

कम रेट पर बिचौलिया के हाथों अपना धान बेचने वाले किसान रौशन शर्मा ने बताया कि उन्हें तत्काल गेंहू का खेत तैयार कर बुआई करना है और धान की खेती के समय महाजन से सूद पर लिया हुआ पैसा लौटाना है, इसलिए वो कम दाम में भी अपना धान बेच रहें हैं क्योंकि पैक्स की सरकारी खरीद का इंतजार करेगें तो उऩ्हें महाजन को ज्यादा सूच चुकाना पड़ा जायेगा। दूसरे किसान ईश्वरी साव और तुलसी यादव ने कहा कि सरकार ने पैक्स के माध्यम से धान खरीद की घोषणा कर दी है पर धरातल पर काम शुरू होने में काफी समय लगेगा। पैक्स पर धान देने पर तुरंत पैसा भी नहीं मिलता है, इसलिए वो लोग न चाहकर भी बिचौलिया के हाथों धान बेचने को मजबूर हैं।

अस्थायी दुकान से धान खरीद खरीदकर बड़े-बड़े व्यापारी ट्रक के माध्यम से दूसरे राज्यों में भेज रहें हैं। एक बड़े व्यापारी के प्रतिनिधि पिंटू कुमार ने बताया कि पैक्स में प्रति किवंटल 5 किलो सोखता लिया जाता है और और कई जगह जल्दी पैसा देने के एवज मे किसान से कमीशन भी लिया जाता है, इसलिए किसान निजी दुकान पर कम रेट में धान बेचकर तुरंत पैसा लेना ज्यादा बेहतर समझते हैं। उनके मालिक छोटे-छोटे दुकनदारों से धान लेकर हरियाणा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भेज रहें हैं। इस काम में छोटे-छोटे दुकानदार से लेकर बड़े-बड़े व्यापारी को 50 रूपया प्रति किंवटल का मार्जिन मिलता है और इन दिनों सैकड़ों व्यापारी सैकड़ों ट्रक धान को दूसरे राज्यों मे भेज रहें हैं।

बिहार सरकार के आदेश के बाद की जिलों में धान की खरीद शुरू हो गयी है वहीं गया जिला में यह खरीद अगले दो-तीन दिनों में शुरू होने की संभावना है। जिले में पैक्स और व्यापार मंडल के जरिये धान की खरीददारी की जायेगी। जिले के 332 पैक्सों में से 31 के पहले ही डिफॉल्टर घोषित किया गया है। मगध सेंट्रल कॉ-ऑपरेटिव बैंक के एमडी अमर कुमार झा ने बताया कि तत्काल 225 समितियों को धान क्रय के लिए कुल लक्ष्य का 20 फीसदी राशि क्रेडिट की गयी है वहीं, पिछले साल के पैक्स अध्यक्ष के चावल देने के एवज में एसएफसी पर बकाया राशि का भी समाधान किया जा रहा है, ऐसे में उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में जिले में धान की खरीद सरकारी स्तर पर शुरू हो जायेगी।

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