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मुफ्फदल सैफुद्दीन ही रहेंगे दाऊदी बोहरा समुदाय के सैयदना, हटाने की याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट ने की खारिज


मुंबई. बॉम्बे (Bombay) हाई कोर्ट (High Court) ने दाउदी वोहरा समुदाय (Dawoodi Bohra community) के उत्तराधिकार को लेकर 10 साल से जारी कानूनी विवाद पर विराम लगा दिया है। साथ ही, मुफ्फदल सैफुद्दीन (Muffdal Saifuddin) को सैयदना (Syedna) घोषित करने के फैसले (decisions) को कायम रखा है। यहीं नहीं, कोर्ट (Court) ने सैफुद्दीन के बतौर सैयदना की नियुक्ति को चुनौती देने वाले दावे (सूट) को खारिज कर दिया है। यह मुकदमा ताहेर फखरुद्दीन ने दायर किया था। अप्रैल, 2023 में हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को पूरा कर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे मंगलवार को जस्टिस गौतम पटेल ने सुनाया। जस्टिस पटेल ने कहा कि उन्होंने मामले से जुड़े सबूतों पर फैसला सुनाया है, न कि आस्था के आधार पर। मैंने यथासंभव फैसले को तटस्थ रखा है। मैं किसी प्रकार की उथलपुथल नहीं चाहता हूं।


2014 में सैयदना मोहम्मद बुराहनुद्दीन के 102 वर्ष की उम्र में निधन के बाद उनके बेटे मुफ्फदल सैफुद्दीन सैयदना बने थे, जिसे बुराहनुद्दीन के भाई खौजाइमा कुतुबुद्दीन ने 2014 में हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

यह था विवाद
कुतुबुद्दीन ने दावा किया था कि बुराहनुद्दीन ने 1965 में उन्हें गुप्त तरीके से ‘नास’ प्रशस्त की थी। बता दें कि ‘नास’ सैयदना का उत्तराधिकारी घोषित करने की आधिकारिक प्रक्रिया है। कुतुबुद्दीन के अनुसार, सैफुद्दीन ने कपटपूर्ण ढंग से सैयदना का पद हासिल किया, लिहाजा उन्हें सैयदना के रूप में मान्यता दी जाए। इस बीच कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुतुबुद्दीन की मौत हो गई, तो उनके बेटे ताहेर ने उनके मुकदमे को आगे बढ़ाया। ताहेर के अनुसार, उनके पिता ने उन्हें ‘नास’ प्रशस्त की थी, इसलिए उन्हें सैयदना माना जाए।

यह दलीलें दी गईं
कोर्ट में इस मामले में मुख्य रूप से ‘नास’ की वैधता समेत कई मुद्दों पर बहस हुई। सुनवाई के दौरान ताहेर का पक्ष रखने वाले वकील ने दावा किया कि ‘नास’ स्थायी होती है। अगर एक बार यह प्रशस्त कर दी जाए, तो इसे बदला नहीं जा सकता है। वहीं, सैफुद्दीन का पक्ष रख रहे सीनियर ऐडवोकेट जनक दास ने कहा कि ‘नास’ में बदलाव किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण अंतिम ‘नास’ ही वैध होती है, जो उनके मुवक्किल (सैफुद्दीन) को प्रशस्त की गई थी। 52वें सैयदना बुरहानुद्दीन ने गवाहों की मौजूदगी में 2011 में अपने बेटे के नाम पर आखरी नास प्रशस्त की थी। गौरतलब है कि वोहरा समुदाय मुख्य रूप से एक कारोबारी समुदाय है, जो दुनिया भर में फैला हुआ है।

 

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