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पश्चिम रेलवे पर मनाया गया राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस

पहली तस्वीर में पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री आलोक कंसल राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर सम्मान समारोह में औपचारिक दीप प्रज्ज्वलित करते हुए दिखाई दे रहे हैं। दूसरी तस्वीर में श्री कंसल को एक अनुकरणीय रक्तदान स्वयंसेवी होने के लिए सम्मानित किया जा रहा है। अंतिम तस्वीर इस अवसर पर सम्मानित किये गये 11 स्वैच्छिक रक्तदाताओं की है।
  • पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक द्वारा रक्त शिविर आयोजकों और स्वैच्छिक रक्त दाताओं को मानवता और उनके बहुमूल्य योगदान के लिए किया गया सम्मानित

मुंबई। राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस हर साल 1 अक्टूबर को देश में रक्तदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने और स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में मनाया जाता है। इस अवसर पर, पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री आलोक कंसल ने रेल निकुंज, मुंबई सेंट्रल में आयोजित एक समारोह में रक्त शिविर आयोजकों और स्वैच्छिक रक्त दाताओं की उनके नेक और मानवीय कार्य के लिए सराहना की। इस अवसर पर पश्चिम रेलवे महिला कल्याण संगठन की अध्यक्षा श्रीमती तनुजा कंसल विशिष्ट अतिथि थीं। इस अवसर पर महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के संयुक्त आयुक्त (मुख्यालय) श्री डी. आर. गहाणे, महाराष्ट्र के स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन कांउसिल के निदेशक डॉ. अरुण थोराट और मुंबई विश्वविद्यालय के एन.एस.एस के निदेशक श्री सुधीर पुराणिक विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।


पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रीय रक्तदान दिवस के महान अवसर पर मुंबई स्थित पश्चिम रेलवे के जगजीवन राम अस्पताल ने रक्त शिविर आयोजकों और 11 स्वैच्छिक रक्तदाताओं का सम्मान समारोह आयोजित किया, जिन्होंने 25 से अधिक बार रक्तदान किया। महाप्रबंधक श्री आलोक कंसल भी रक्तदान करने वाले स्वयंसेवकों की सूची में शामिल हैं, जिन्होंने 42 बार रक्तदान किया है। उन्हें उनके उदार और मानवीय कार्यों के लिए डॉ अरुण थोराट द्वारा सम्मानित किया गया। पश्चिम रेलवे के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि श्री कंसल ने स्वयं दूसरों के लिए एक मिसाल कायम की है। इस अवसर पर रोटरी क्लब और लायंस क्लब के सदस्य, पश्चिम और मध्य रेलवे दोनों के ट्रेड यूनियन और गैर सरकारी संगठन जैसे शिविर आयोजकों को सम्मानित किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए श्री कंसल ने कहा कि ‘रक्तदान श्रेष्ठदान है’। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रक्तदान को प्रोत्साहित करने के लिए हरसम्भव प्रयास किया जाना चाहिए, जो कि समय की मांग है। उन्होंने उल्लेख किया कि रक्तदाता न केवल कम से कम 3 रोगियों की मदद करता है, बल्कि आपके स्वास्थ्य और शरीर में भी सुधार करता है। उन्होंने “तुम अपना खून दो, में तुम्हें अच्छा स्वास्थ्य दूंगा” के शब्दों को फिर से दोहराया। उन्होंने आह्वान किया कि रक्तदान को इस तरह के अभियान या शिविरों तक प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वेच्छा से रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए और हर 3 महीने में रक्तदान करना चाहिए, ताकि जरूरतमंद रोगियों के लिए इसकी उपलब्धता में कोई बाधा न हो।

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