फरीदाबाद। फरीदाबाद टोक्यो पैरालंपिक में फरीदाबाद के तिगांव निवासी सिंहराज अधाना ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा एसएच-1 के फाइनल मुकाबले में कांस्य पदक जीतने के बाद शनिवार को 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा एसएच-1 में रजत पदक जीता है। इससे सिंहराज ने एक बार फिर पूरे देश को गौरवांवित किया है।
सिंहराज ने आर्थिक परेशानियों और कोरोना की दूसरी लहर का माहौल व खुद कोरोना संक्रमित होते हुए भी अपना संघर्ष जारी रखा और देश के लिए दो मेडल लेकर आए। आखिरकार सिंहराज ने अपना वादा निभाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अपने परिवार से वादा किया था कि वह मेडल लेकर ही आएंगे।
जन्म से पोलियोग्रस्त अधाना को प्रधानमंत्री ने मुश्किलों को पार कर इतिहास रचने के लिए बधाई दी है। अधाना मूलरूप से फरीदाबाद के तिगांव निवासी हैं। मौजूदा समय में उनका संयुक्त परिवार बल्लभगढ़ के ऊंचा गांव में रहता है। पैरालंपिक में जाने से पहले सिंहराज ने पीएम मोदी को पदक जीतने का आश्वासन दिया था। परिवार ने आर्थिक मुश्किलों का सामना कर इस मुकाम तक पहुंचाया है।
अधाना के मुताबिक, वह ओलंपिक जीतने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध थे। ऐसे में वह उस समय भी तैयारियों में जुटे रहे जब कोरोना की दूसरी लहर के कारण दुनिया थम गई थी। अधाना ने उस माहौल की मायूसी से निकलने के लिए घर में ही शूटिंग रेंज तैयार कर ली। अभ्यास जारी रखा। इससे उनका हौसला बना रहा। तैयारी कर जीत की जिद का जुनून उन्होंने बनाए रखा।
टोक्यो जाने से पहले प्रधानमंत्री से कही थी ये बात
सिंहराज मानते हैं कि सरकारी मदद से हौसले बढ़ते हैं और यही बात उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कही थी। उन्होंने प्रधानमंत्री से जापान जाने से पहले हुई छह मिनट की बातचीत में कहा था कि शूटिंग एक ऐसा खेल है जिसमें पैसा एक बड़ी समस्या है। शूटिंग के अभ्यास में भी काफी पैसा खर्च होता है। ऐसे में अगर खिलाड़ियों को सरकार से मदद मिलती रहती है तो उनका हौसला भी बढ़ता रहता है।
सिंहराज ने किया था पत्नी के त्याग का जिक्र
सिंहराज ने प्रधानमंत्री को अपने संघर्षों की कहानी बताते हुए कहा था कि उनके जीवन में एक ऐसा समय आया जब त्नी कविता ने अपने आभूषण गिरवी रखकर उन्हें खेल के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में अभ्यास पूरी तरह बंद हो गया था।
विदेशी खिलाड़ी साथियों से लॉकडाउन में पूछा था अभ्यास का तरीका
अपने विदेशी खिलाड़ी दोस्तों से अभ्यास का तरीका पूछते थे। विदेशी दोस्त लगातार खेल अभ्यास कर रहे थे जबकि स्थानीय स्तर पर अभ्यास की छूट नहीं थी। ऐसे में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही उन्होंने सबसे पहले 10 मीटर और 50 मीटर का शूटिंग रेंज बनवाया। इसके लिए वर्ष 2018 में एशियन गेम्स में प्रदेश सरकार से मिली इनामी राशि काम आई।
ओलंपिक में इस्तेमाल होने वाले एमीनेशन से ही पैरालंपिक की तैयारी की। इससे हाल ही में यूएई में हुए विश्वकप में पदक हासिल किया था। इसके अलावा नेशनल राइफल शूटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से खेल को बल मिला।
सिंहराज कोरोना ग्रस्त होने के बाद भी नहीं हारे हौसला
सिंहराज अधाना ने बताया था कि इस साल मई महीने में वह कोरोना का शिकार भी हो गए थे। हालांकि, हौसलों के दम पर जिंदगी जीने वाले सिंहराज को न तो पोलियो रोक सका और न कोरोना। कोरोना संक्रमण ने पूरी दुनिया की रफ्तार को थाम दिया लेकिन अधाना उस समय भी नहीं रुके। उन्होंने लगातार अपना अभ्यास जारी रखा। परिवार के लोगों का कहना है कि होम आइसोलेशन में ही कोरोना को मात दी। इस दौरान अपने अभ्यास से समझौता नहीं किया। वह सेहत और खेल के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं।