इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अब कांग्रेस में भी लोकसभा चुनाव को लेकर उठापटक

इन्दौर। भाजपा (BJP) ने कल से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की तैयारी शुरू कर दी है, वहीं कांग्रेस भी लोकसभा चुनावों को लेकर अभी से कमर कसने की तैयारी कर रही है। हालांकि न तो अभी एआईसीसी से निर्देश आए हैं और न ही एमपीसीसी से, फिर भी जिन्हें चुनाव लडऩा है वे अंदर ही अंदर अपनी बिसात बिछाने में लग गए हैं।


पिछली बार इंदौर में लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से शंकर लालवानी और कांग्रेस के पंकज संघवी के बीच मुकाबला हुआ था। हालांकि जिस तरह से विधानसभा चुनाव में क्षेत्र क्रमांक 5 में पंकज संघवी सक्रिय नजर आए हैं, उससे लग रहा है कि वे एक बार फिर अपना भाग्य आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। अभी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं एक नाम राऊ से चुनाव हारे जीतू पटवारी का भी सामने आ रहा है। जीतू पटवारी ने सीधे तौर पर तो दावा नहीं किया है, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि पटवारी लोकसभा चुनाव लडऩे की मंशा जाहिर कर सकते हैं। सत्यनारायण पटेल भी इस बार लोकसभा चुनाव के दावेदार हो सकते हैं। वे इसी महीने एक बड़ा आयोजन करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें शहर के सभी प्रमुख कांग्रेसी नेता शामिल होंगे। एक नाम संजय शुक्ला का भी सामने आ सकता है, फिलहाल उन्होंने भी सार्वजनिक तौर पर ऐसी कोई मंशा जाहिर नहीं की है। हालांकि भाजपा की सरकार बनने के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की तैयारियां भी तेज हो जाएंगी।

कांग्रेस कार्यालय पर सन्नाटा, अधिकांश कांग्रेसी इंदौर से बाहर
कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन पर पिछले तीन दिनों से सन्नाटा पसरा हुआ है। जो कांगे्रसी कार्यालय के अंदर बैठकर जीत के गणित बिठा रहे थे, वे कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। कई पदाधिकारी तो शहर से बाहर निकल गए हंै तो कहीं देवदर्शन को रवाना हो गए हैं।

कांगे्रसियों को भी आशा नहीं थी कि पार्टी इतनी बुरी तरह से चुनाव हारेगी। कांग्रेसी सर्वे से उत्साहित थे और फिर जब एग्जिट पोल आया तो वे उसे झूठला रहे थे। 17 नवम्बर को मतदान के बाद से 3 दिसम्बर के बीच गांधी भवन में कांग्रेसी जीत के गणित बिठा रहे थे और कई बार कांग्रेसियों ने तो मुंहजोरी कर ली थी थी कि सरकार बनने के बाद किस विधायक को कौन-सा मंत्री बनाया जाएगा और इंदौर से कितने मंत्री बनेंगे, लेकिन 3 दिसम्बर ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया और इंदौर की 9 सीटें तो भाजपा की झोली में गई हीं, वहीं पूरे प्रदेश में 163 सीटों पर भाजपा ने अपना कमल खिला दिया। इस आंधी में कई दिग्गज भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। 4 दिसम्बर की सुबह से ही गांधी भवन पर सन्नाटा पसरा हुआ है। हालांकि चुनाव के दौरान भी बहुत ही कम कांग्रेसी आ-जा रहे थे, लेकिन अब तो यहां कांग्रेसी झांक तक नहीं रहे हैं। जो हार गए हैं वे हार भूलाने के लिए देवदर्शन को निकल गए हैं तो कई छुट्टी मनाने के लिए पर्यटनस्थल पर पहुंच गए हैं। फिलहाल भोपाल से कोई निर्देश नहीं आने के कारण कांग्रेस की गतिविधि ठप्प पड़ी हुई है।

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