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ओमिक्रॉन वैरिएंट फेफड़ों में श्वसनी पर ज्यादा असर डालता है जानिए एक्सपर्ट्स की रिसर्च

नई दिल्ली । कोरोना वायरस (corona virus) ने एक बार फिर अपना रूप बदल लिया है। कोविड (covid) का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन (Variant Omicron)  अपने पैर पसार रहा है। अब तक देश के कई राज्यों में ओमिक्रॉन (Omicron) के मामले सामने आ चुके हैं। कहा जा रहा है कि ये कोविड के डेल्टा वेरिएंट (Delta Variants) से भी ज्यादा खतरनाक है। हालांकि, कोरोना के दूसरे लहर के लिए डेल्टा वेरिएंट को ही जिम्मेदार ठहराया गया था। लेकिन, एक नए अध्ययन में ये बात निकलकर सामने आई है कि ओमिक्रॉन डेल्टा और कोविड के मूल स्ट्रेन से 70 गुना तेजी से फैलता या संक्रमित करता है।

स्टडी में जो सबसे चिंताजनक बात पता चली है वो ये कि ओमिक्रॉन इंसानों (Omicron Humans) के सांस लेने के तंत्र पर असर डालता है। ओमिक्रॉन, इंसानों के श्वसनी (Bronchus)पर अटैक करता है। ये वो रास्ता हैं जिसके जरिए हवा फेफड़ों तक पहुंचती है। हांगकांग यूनिवर्सिटी की रिसर्च फैकल्टी ने अपनी टीम के साथ मिलकर शोध किया है। सबसे पहले ओमिक्रॉन वेरिएंट को अलग करके उसके मूल स्ट्रेन और डेल्टा वेरिएंट से तुलना की गई। इस एक्सपेरिमेंट से पता चला कि ओमिक्रॉन वायरस मूल स्ट्रेन और डेल्टा के मुकाबले तेजी से फैलता है।


साथ ही ये बात भी सामने आई कि इंफेक्शन के 24 घंटे बाद ओमिक्रॉन, मूल वायरस और डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले 70 गुना तेजी से मल्टीप्लाई करता है। लेकिन, राहत की बात ये है कि इसका असर 10 गुना तक कम रहता है। इससे ये साफ है कि ओमिक्रॉन होने के बावजूद गंभीर लक्षण वाला कोरोना नहीं होगा। जानकारी के मुताबिक भारत में अलग-अलग राज्यों से कुल मिलाकर ओमिक्रॉन के 78 मामले सामने आ चुके हैं। ये वेरिएंट 11 राज्यों में फैल गया है।

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