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Padma Award 2022 in Science: 8 वैज्ञानिकों को मिला इस बार पद्म सम्मान

नई दिल्ली। भारत सरकार ने पद्म अवॉर्ड्स (Padma Awards) की घोषणा कर दी है. इस साल 8 लोगों को साइंस और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पद्म अवॉर्ड्स दिए गए हैं. जिसमें से एक पद्म भूषण (Padma Bhushan) और सात पद्म श्री (Padma Shri) शामिल हैं। पद्म भूषण से नवाजा गया है भारतवंशी मेक्सिकन वैज्ञानिक स्व. डॉ. संजय राजाराम (Dr. Sanjaya Rajaram) को. वाराणसी में 1943 में जन्मे संजय का निधन पिछली साल मेक्सिको में 17 फरवरी को हुआ. संजय ने गेहूं की 480 प्रजातियां विकसित की थीं, जो दुनिया 53 देशों में अब पैदा की जाती हैं. साल 2014 में उन्हें वर्ल्ड फूड प्राइज से भी सम्मानित किया गया था।


पद्म श्री (Padma Shri) सम्मान पाने वाली सूची में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इस साल पहला नाम है कर्नाटक के सुबन्ना अय्यप्पन (Subbanna Ayyappan). सुबन्ना क्रॉप एंड एनवायरमेंटल साइंसेज डिविजन (CESD) के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट के सदस्य भी रहें हैं. सुबन्ना देश के कई वैज्ञानिक संस्थानों में काम कर चुके हैं. उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं।

पश्चिम बंगाल की प्रोफेसर संघमित्रा बंद्योपाध्याय (Sanghmitra Bandyopadhyay) इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट कोलकाता में मशीन इंटेलीजेंस यूनिट की प्रोफेसर हैं. संघमित्रा ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, चीन, मेक्सिको समेत दुनिया की कई यूनिवर्सिटीज और संस्थानों के साथ मिलकर काम किया है. उन्हें भटनागर प्राइज, इंफोसिस अवॉर्ड, डीबीटी नेशनल वुमन बायोसाइंटिस्ट अवॉर्ड जैसे कई सम्मान मिले हैं।

ओडिशा के प्रोफेसर आदित्य प्रसाद दाश (Aditya Prasad Dash) AIPH यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर है. उससे पहले वो सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ तमिलनाडु के वाइस-चांसलर रहे हैं. उसके पहले वो WHO में भी काम कर चुके हैं. प्रो. आदित्य इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के एक्सपर्ट हैं।

हरियाणा के मोती लाल मदन (Moti Lal Madan) देश के बड़े बायोटेक्नोलॉजी रिसर्चर, वेटरिनेरियन, एकेडेमिक और एडमिनिस्ट्रेटर रहे हैं. वो भैंस को IVF तकनीक से पहली बार गर्भधारण कराने के लिए जाने जाते हैं. साल 1994 से 1995 तक नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर (रिसर्च) भी रहे हैं. पिछले साल उन्हें हरियाणा विज्ञान रत्न सम्मान से भी नवाजा गया था।

महाराष्ट्र के अनिल कुमार राजवंशी (Anil Kumar Rajvanshi) लखनऊ में पैदा हुए. फिलहाल निंबकर एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक हैं. उन्होंने फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी और IIT से पढ़ाई की है. उन्हें जमनालाल बजाज सम्मान और सोलर हॉल ऑफ फेम से भी नवाजा गया है. डॉ. राजवंशी को रीन्यूएबल एनर्जी, रिसर्च, ग्रामीण विकास का एक्सपर्ट माना जाता है।

उत्तर प्रदेश के डॉ. अजय कुमार सोनकर (Ajay Kumar Sonkar) देश के जाने-माने रिसर्चर और साइंटिस्ट हैं. मोतियों की खेती और पर्ल कल्चर को देश में आगे बढ़ाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. उन्होंने ही देश में साफ पानी में मोतियों की खेती के तरीके को फैलाया।

गुजरात के जयंतकुमार मगनलाल व्यास (Jayantkumar Maganlal Vyas) फोरेंसिक के एक्सपर्ट हैं. उन्हें नेशनल फोरेंसिक साइंसेस यूनिवर्सिटी में निदेशक के पद पर रखा गया है।

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