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‘घबराएं नहीं… युद्ध की संभावना बहुत कम है,’ शेयर बाजार के निवेशकों के लिए ये दो सलाह

  • May 08, 2025

     

    नई दिल्‍ली । जब से सीमा पर भारत (India)और पाकिस्तान के तनाव(Pakistan’s tensions) बढ़ा है, भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) पर उसका असर दिखने को मिल रहा है. मंगलवार को भारतीय बाजार में बड़ी गिरावट की एकमात्र वजह भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती तनानती थी. निवेशक घबराए हुए थे, कि आखिर भारत क्या कदम उठाएगा, क्या दोनों देशों में युद्ध शुरू हो जाएगा?

    दरअसल, किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए युद्ध सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसलिए हर छोटा-बड़ा देश हमेशा युद्ध को सबसे पहले टालने की कोशिश करता है. लेकिन मंगलवार की देर रात भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिए.


    भारत के इस एक्शन के बाद लग रहा था कि बुधवार को शेयर बाजार में इसका तगड़ा असर देखने को मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भले ही बाजार दबाव के साथ खुला, लेकिन धीरे-धीरे बाजार के प्रति निवेशकों का विश्वास लौटा और कारोबार के अंत सेंसेक्स-निफ्टी चढ़कर बंद हुए. सेंसेक्स कारोबार के अंत में 105 अंक चढ़कर 80746 अंक पर बंद हुआ. जबकि निफ्टी 34 अंक चढ़कर 24414 पर बंद हुआ. यानी अब भारत-पाकिस्तान तनाव का असर बाजार में नहीं हो रहा है.

    जल्दबाजी में फैसला से बचें

    बाजार की चाल को लेकर कुछ निवेशक अभी भी घबराए हुए हैं. इस बीच कोटक म्यूचुअल फंड का कहना है कि निवेशकों को अब घबराने की जरूरत नहीं है. फर्म का कहना है कि बाजार को लेकर निवेशक जल्दबाजी में कोई फैसला लेने से बचें, साथ ही पहले के निवेश में बने रहें. एक तरह से कोटक म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को दो सलाह दी है.

    म्यूचुअल फंड हाउस का कहना है कि भू-राजनीतिक घटनाओं के दौरान कुछ समय के लिए बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, जो निवेशक को थोड़ा बहुत परेशान कर सकता है. लेकिन इतिहास बताता है कि लंबी अवधि में इसका कोई असर नहीं होने वाला है.

    हालांकि कोटक एमएफ ने कहा, ‘फिलहाल बाजार की दिशा का अनुमान लगाना मुश्किल है. पिछले बड़े संघर्षों के दौरान बाजार में तेजी से पहले थोड़ा करेक्शन देखने को मिला था. इसलिए निवेशकों को अपने निवेश के साथ बने रहने में फायदा है, और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है.’

    नए SIP निवेशकों के लिए अच्छा मौका

    कोटक एमएफ की मानें तो ये वो समय है, जब निवेशक एसआईपी को बढ़ाने पर विचार कर सकता है. अगर कोई एकमुश्त म्यूचुअल फंड में पैसा डालना चाहता है तो फिर उन्हें चरणबद्ध तरीके निवेश करने की सलाह रहेगी. म्यूचुअल फंड हाउस ने एक नोट में कहा, ‘हमने 2016 (उरी और बालाकोट) के बाद से दो ऐसे सर्जिकल स्ट्राइक्स देखे हैं, जिसका बाजार पर प्रभाव सीमित रहा था.’

    2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट हवाई हमले के बाद घरेलू शेयर बाजारों में हमले के दिन सीमित दायरे में गिरावट देखी गई. 2016 हमले के बाद एक साल के अंदर बाजार में 11.3 फीसदी और 2019 की बालाकोट हमले के बाद सालभर के अंदर 8.9 फीसदी का रिटर्न मिला था.

    सरकार ने दिए संकेत… युद्ध जैसा माहौल नहीं

    कोटक म्यूचुअल फंड का कहना है, ‘सरकार की कार्रवाई से पता चलता है कि युद्ध की संभावना कम है. हालांकि, पूर्ण युद्ध के मामले में, हमें ध्यान रखना चाहिए कि 1950 से भारत ने 4 बड़े युद्ध देखे हैं. पिछले बड़े संघर्ष (कारगिल-1999) में, शुरुआती घबराहट के बाद इक्विटी बाजार मजबूत बने रहे.’

    कोटक एमएफ ने कहा कि सीमित संघर्ष का सीमित प्रभाव हो सकता है और बाजार जल्द ही स्थिर हो सकता है. लंबे समय तक संघर्ष के मामले में, कुछ सुधार से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि कुछ दिन भी युद्ध चलने से राजकोषीय घाटा और महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है

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