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पारसी समुदाय के कोविड रोगियों के शवों के निपटान के लिए दिशा-निर्देशों में संशोधन नहीं कर सकते


नई दिल्ली। केंद्र (Center) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से कहा है कि पारसी समुदाय (Parsi Community) की शिकायतों को दूर करने के लिए कोविड पॉजिटिव व्यक्तियों के शवों (Dead bodies of Covid Patients) के निपटान (Disposal) के लिए जारी दिशा-निर्देशों (Guidelines) में संशोधन नहीं कर सकते (Cannot Amend) ।


केंद्रीय स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा “बिना दफन या दाह संस्कार के शव को (बिना आवरण के) खुला रखना कोविड पॉजिटिव रोगियों के शवों के निपटान का एक सही तरीका नहीं होगा।” केंद्र की प्रतिक्रिया पारसी समुदाय के सदस्यों के लिए एक पारंपरिक दफन की मांग करने वाली याचिका पर आई, जिनकी कोविड -19 से मृत्यु होती है।

सूरत पारसी पंचायत बोर्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया था कि मौजूदा दिशानिर्देश पारसी समुदाय की परंपरा के अनुसार दफनाने की अनुमति नहीं देते हैं और समुदाय उन लोगों का पारंपरिक अंत्येष्टि करने में असमर्थ है, जिन्होंने कोविड -19 के कारण दम तोड़ दिया।

हलफनामे में कहा गया है, “इस तरह के संक्रामक रोगियों के शवों के पर्यावरण और जानवरों के संपर्क में आने की संभावना है, अगर उन्हें ठीक से दफनाया या अंतिम संस्कार नहीं किया गया।10 जनवरी को न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को पारसी समुदाय की शिकायतों को दूर करने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए कहा था।

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