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Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना पूर्वज हो जाएंगे नाराज

नई दिल्ली। हमारे परिवार में जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका है, हम उन्हें ही पितृ मानते हैं. ऐसा कहते हैं कि पितृपक्ष(Pitru Paksha ) में हमारे पितृ धरती पर आकर हमें आशीर्वाद (Blessings) देते हैं और जीवन में चल रही समस्याओं(the problems) को दूर करते हैं. इसलिए पितृपक्ष में हम लोग अपने पितरों को याद करते हैं और उनकी याद में पिंडदान और दान धर्म (Pind Daan and charity religion) के कार्यों का पालन करते हैं. इस बार पितृपक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक रहेगा. सर्वपितृ अमावस्या के साथ इसका समापन हो जाएगा.

पितृपक्ष में क्या है श्राद्ध की प्रक्रिया?
पितृपक्ष में हम अपने पितरों को नियमित रूप से जल अर्पित करते हैं. यह जल दक्षिण दिशा (south direction) की ओर मुंह करके दोपहर के समय दिया जाता है. श्राद्ध के समय जल में काला तिल मिलाएं और हाथ में कुश रखें. इसमें पूर्वज के देहांत की तिथि पर अन्न और वस्त्र का दान किया जाता है. उसी दिन किसी निर्धन को भोजन भी कराया जाता है. इसके बाद पितृपक्ष के कार्य समाप्त हो जाते हैं.



पितृपक्ष की अवधि में दोनों वेला स्नान करके पितरों को याद करना चाहिए. कुतप वेला में पितरों को तर्पण दें. इसी वेला में तर्पण का विशेष महत्व होता है. तर्पण में कुश और काले तिल का विशेष महत्व है. इनके साथ तर्पण करना अद्भुत परिणाम देता है. पितृपक्ष में श्राद्ध करने वालों को केवल एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए.

पितृपक्ष में इन गलतियों से बचें (Pitru Paksha Mistakes)
आपको बता दें कि लहसुन और प्याज के साथ-साथ पितृ पक्ष में मासांहार भोजन का सेवन करने की गलती नहीं करनी चाहिए.

श्राद्ध के समय अंडे और मांसाहार बिल्कुल वर्जित माना गया है. इसके अलावा शराब, बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू का सेवन करने से बचना चाहिए.

पितृपक्ष के दौरान जो लोग 16 दिनों तक तर्पण करते हैं, उन्हें चने का सेवन नहीं करना चाहिए. जहां तक संभव हो दूध का प्रयोग कम से कम करें.

श्राद्ध करते वक्त तीन बातों का विशेष ख्याल रखें. पितरों को हल्की सुगंध वाले सफेद पुष्प अर्पित करने चाहिए. तीखी सुगंध वाले फूल वर्जित माने जाते हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तर्पण और पिंड दान करना चाहिए. कर्ज लेकर या दबाव में कभी भी श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए. पितृपक्ष में नित्य भगवदगीता का पाठ करें.

घर में कौन पितरों का श्राद्ध कर सकता है?
घर का कोई वरिष्ठ पुरुष सदस्य श्राद्ध कर्म कर सकता है. यदि वो मौजूद ना हो तो घर को कोई भी पुरुष सदस्य कर सकता है. पौत्र और नाती को भी तर्पण और श्राद्ध का अधिकार होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)

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