नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने सोमवार को परीक्षा पे चर्चा (Discussion on exam) के आठवें संस्करण में छात्रों से कई अहम मुद्दों पर बातचीत की. इस दौरान बच्चों ने पीएम मोदी से कई सवाल भी किये. इस कार्यक्रम का प्रसारण दूरदर्शन और पीएमओ यूट्यूब चैनल पर किया गया है. वहीं, बच्चों से बात करते हुए पीएम मोदी ने लीडरशिप क्वालिटी पर भी बात की. उन्होंने बच्चों से कहा कि आपको यह जानने के लिए अपने दिमाग पर ध्यान केंद्रित करना होगा कि खुद को कैसे चुनौती देनी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि एक लीडर तब लीडर बनता है जब वह जो सिखाता है उस पर वो खुद भी पहले अमल करता है और लोगों के मुद्दों को समझता है. पीएम मोदी ने ये भी कहा कि सम्मान की मांग नहीं की जा सकती, आपको खुद को बदलना होगा और आपका व्यवहार आपके लिए सम्मान हासिल करेगा. लोग आपके व्यवहार को स्वीकार करेंगे, वे आपकी सिखाई हुई चीजों को स्वीकार नहीं करेंगे.
इस दौरान एक स्टूडेंट ने पीएम मोदी से क्लास को मॉनिटर करने को लेकर एक सवाल किया. बच्चे ने पीएम से पूछा, “कभी टीचर हमें क्लास को माइंड करने को कहती हैं, लेकिन कई बार बच्चे बात नहीं सुनते हैं. उनसे हम सीधे तरीके से नहीं बोल सकते हैं कि बैठ जाओ वरना मैं तुम्हारा नाम लिख दूंगा क्योंकि ये बात बच्चे सुनते नहीं हैं. इस स्थिति में क्या कोई अलग तरीका है जिससे उन्हें समझा सकें कि ऐसी बात है तो तुम चुप बैठ जाओ.” इसपर पीएम मोदी पहले तो बच्चे से पूछते हैं कि वो कहां से है, जिसपर बच्चे ने बताया कि वो चंडीगढ़ से है.
फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं, “क्या आप लीडरशिप की परिभाषा समझते हैं? लीडर का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक ही ख्याल आता है कि कुर्ता-पजामा और जैकेट पहने हुए और मंच पर बोलने वाला व्यक्ति ही लीडर है, लेकिन ऐसा नहीं होता है. लीडर वो होता है जो सबको साथ लेकर आगे चले. अगर आप क्लास मॉनिटर हैं और आपने खुद अपना होमवर्क नहीं किया है तो आप सामने वाले को होमवर्क न करने के बारे में कुछ नहीं बोल सकते.”
उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, “मॉनिटर वो होता है जो दूसरों की मदद करे और कहे कि अरे तुमने नहीं किया कोई बात नहीं, लाओ मैं तुम्हारी मदद कर दूं. मॉनिटर वो नहीं होता जो खुद तो देर से आये लेकिन दूसरों से कहे कि तुम चलो मैं आता हूं. अगर आप एक मॉनिटर हैं तो आपको पहले एक उदाहरण पेश करना होगा.” पीएम मोदी ने ये भी कहा, “आप रिस्पेक्ट को डिमांड नहीं कर सकते, बल्कि आपको रिस्पेक्ट को कमांड करना होगा, लेकिन ये होगा कैसे?”
इसपर बच्चों ने जवाब दिया, “आपको खुद को बदलना पड़ेगा और आपको अपने व्यवहार को बदलना होगा.” इसपर पीएम मोदी ने बच्चों से कहा, “लीडरशिप थोपी नहीं जाती है, जब लोग आपके व्यवहार को स्वीकार करते हैं, तब वो आपको स्वीकार करते हैं.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, ” सिर्फ भाषण झाड़ देने से कोई लीडर नहीं बन जाता है. लीडर टीमवर्क से बनता है. इसके लिए धैर्य बहुत चाहिए होता है. कभी-कभी क्या होता है कि आपने किसी को काम दिया और वो उसने किया नहीं तो फिर हम उसपर टूट पड़ते हैं. फिर हम उनसे कहते हैं कि क्यों नहीं किया? लीडर ऐसे नहीं बनते हैं. अगर आपने किसी को काम दिया तो ये जानना भी बहुत जरूरी है कि उसकी क्या कठिनाई है. इसलिए आपका एक सिद्धांत होना चाहिए कि ‘जहां कम, वहां हम’, इसलिए लीडर को जहां भी कुछ कम लगे वहां वो पहुंच जाए. जिस टीम मेंबर को तकलीफ हो रही है तो मैं पहुंच जाऊं.”
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