भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

हार-जीत से बदल जाएंगे राजनीतिक समीकरण

  • दमोह उप चुनाव का घमासान होने लगा तेज, आज कमलनाथ संभालेंगे मोर्चा

भोपाल। मध्यप्रदेश की दमोह विधानसभा सीट के उप चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर उस बिकाऊ शब्द को मुद्दा बना रही है, जो 28 सीटों पर हुए विधानसभा उप चुनाव में फेल हो गया था। दमोह सीट भी कांग्रेस विधायक राहुल लोधी के दल बदल कर भाजपा में जाने के कारण खाली हुई है और इसलिए वहां अब उपचुनाव हो रहा है। वादे के अनुसार भाजपा उन्हें अपना उम्मीदवार बना रही है। कांग्रेस की ओर से अजय टंडन उम्मीदवार हैं। आज कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ दमोह में मोर्चा संभालेंगे। कमलनाथ के दौरे के साथ प्रचार में भी तेजी आ जाएगी। उनके दौरे से ऐन पहले पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने ये कहकर माहौल गर्मा दिया है कि भाजपा के कई असंतुष्ट नेता उनके संपर्क में हैं। दमोह में यह देखा गया कि जातिवाद के बाद भी वोटर चेहरे का चुनाव करता है। जयंत मलैया की जीत में उनके सौम्य व्यवहार का बड़ा योगदान रहा। जबकि क्षेत्र में कदम-कदम पर मुद्दों की हरियाली है। बीडी मजदूरों की समस्या पर अब यहां कोई बात ही नहीं करता। वोटर यह जरूर महसूस कर रहा है कि जयंत मलैया जैसा कोई दूसरा नहीं हो सकता।

कांग्रेस की निगाह गांव पर
राहुल लोधी ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता जयंत मलैया को मात्र आठ सौ वोटों से पराजित किया था। मलैया सत्तर की उम्र पार कर चुके हैं। उनके समकालीन नेता घरों में बैठा दिए गए हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी उनका टिकट काटना चाहती थी, लेकिन क्षेत्र में मलैया के प्रभाव को अनदेखा नहीं कर पाई थी। मलैया 1990 से लगातार पार्टी को जीत दिला रहे थे। लेकिन, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगाबत कर निर्दलीय के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने समीकरण बिगाड़ दिए थे। दमोह की सीट पर जातिगत समीकरण कभी काम नहीं करते। पहली बार लोधी ने इस विधानसभा सीट पर चुनाव जीता था। लोधी वोटों की संख्या जैन वोटरों से ज्यादा है। इस सीट पर लगभग चौदह हजार जैन और अठतीस हजार से अधिक लोधी वोटर हैं। मलैया, जैन हैं। दमोह के वोटर आज भी मलैया के प्रभाव में हैं। खासकर शहरी क्षेत्र का वोटर। कांग्रेस की रणनीति ग्रामीण वोटर के साथ अनुसूचित जाति वोटर को बांधे रखने की है। क्षेत्र में चालीस हजार से अधिक अनुसूचित जाति वर्ग
का वोटर है।

अजय टंडन को सहानुभूति की उम्मीद
दमोह उप चुनाव में विरोधी दल कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से जुड़े हैं। लेकिन, चुनाव कोई नहीं जीत पाए। दो बार पहले भी टिकट मिली, लेकिन जीत नहीं पाए। तीसरी बार उन्हें वोटर की सहानुभूति मिलने की उम्मीद है। भाजपा उम्मीदवार राहुल लोधी के खिलाफ उनकी भाषा को लेकर विवाद के हालात हैं। गद्दार और नपुंसक जैसे शब्द दमोह का चुनावी मुद्दा कभी नहीं रहे। न इस तरह के शब्दों का उपयोग आरोपों के तौर पर हुआ। गद्दार और बिकाऊ जैसे शब्दों का प्रयोग कांग्रेस ने 28 सीटों के विधानसभा उप चुनाव में किया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को लेकर। यह मुद्दा वोटर के बीच कमाल नहीं दिखा सका था। प्रचार में जरूर चर्चा में रहा था।

टंडन की उम्मीद मलैया परिवार पर भी टिकी है
बिकाऊ और गद्दार का आरोप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की रणनीति का हिस्सा है। भाजपा उम्मीदवार राहुल लोधी कहते हैं कि कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन यह क्यों भूल जाते हैं कि उन्होंने भी अर्जुन सिंह के साथ कांग्रेस छोड़ी थी। विधानसभा चुनाव में राहुल लोधी की जीत के रणनीतिकार अजय टंडन माने गए थे। यही कारण है कि कांग्रेस ने दो बार हार के बाद भी तीसरी बार उन्हें मौका दिया। क्षेत्र में पलायन और बेरोजगारी मुख्य समस्या है। सीमेंट फैक्ट्री है लेकिन रोजगार की संभावनाएं सीमित हैं। मलैया परिवार पर क्षेत्र का विकास न करने के आरोप कांग्रेस लगाती रही है। इस बार मलैया को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से चुप है। भाजपा में अलग-थलग पडऩे की स्थिति में मलैया के पुत्र की भूमिका पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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