भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

हज़ारों सहाफियों के उस्ताद पीपी सर चले गए…कार्डियक अरेस्ट से निधन

जिंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत, आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है।

ओह…इस अफसोसनाक खबर पे कोई यकीन नहीं कर रहा है। जिसने भी ये खबर सुनी उसका दिल धक से रह गया। जी…पुष्पेंद्र पाल सिंह नहीं रहे। वही पुष्पेंद्र पाल सिंह जो हर खास ओ आम के लिए पीपी सर के नाम से मशहूर थे। वही पीपी सर जो सवा छह फीट लंबे, जिस्मानी और रूहानी तौर पे एकदम फिट थे…पिछली रात कोई 1 बजे अपने हज़ारों चाहने वालों और शागिर्दों को अकेला छोड़ के चले गए। अपने ई-8 त्रिलंगा वाले घर पे उन्होंने रात का खाना खाया, और हज़्बे मामूल कोई किताब उठाई और तल्लीन होके पढऩे लगे। बताया जाता है कि रात साढ़े ग्यारह बजे के आसपास उन्हें बेचैनी महसूस हुई। उनकी बहन और दोनो बच्चे उनके पास ही थे। उन्होंने देखा कि पीपी सर के हाथ से किताब छूट गई है और वो निढाल हो गए हैं। घर के पास ही रहने वाले किसी डॉक्टर को बुलाया गया। उसने पीपी सर को सीपीआर दिया। उन्हें एम्बुलेंस में बंसल अस्पताल ले जाया जा रहा था। इसी दरम्यान उन्हें दो और सीवियर हार्ट अटैक आये। पीपी सर को बंसल अस्पताल लाया गया। बताया जाता है कि अस्पताल लाने से चंद मिनट पहले ही उनके प्राण पखेरु उड़ चुके थे। विडंबना देखिए कि पीपी सर के माता पिता जो उनके साथ ही रहते हैं… उन्हें उनके पुत्र के निधन की खबर दोपहर 12 बजे तक नहीं दी गई। उनके छोटे भाई केपी सिंह के दिल्ली से भोपाल पहुंचने पर ही पार्थिव शरीर घर लाया गया। मुमकिन है जब तक आप ये खबर पढ़ रहे होंगे तब तक पीपी सर भदभदा विश्राम घाट में पंचतत्व में विलीन हो रहे होंगे। वे माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के मीडिया विभाग के पूर्व एचओडी और वर्तमान में मध्यप्रदेश माध्यम में रोजग़ार और निर्माण के प्रधान संपादक थे। शहर के हर कलचरल फंक्शन में पीपी सर दिखाई देते।



तकऱीबन हर अकादमिक प्रोग्राम में वो मेहमाने खुसूसी होते। चेहरे पे कभी दाढ़ी रखते तो कभी एकदम क्लीन शेव हो जाते। चेहरे पे मुस्कुराहट उनका स्थाई भाव था। पीपी सर का लहजा यूपी वाला लेकिन बड़ा ही नफ़ीस था। महज 55 बरस की उमर में वो इस दुनिया से एग्जिट ले लेंगे ये किसी ने नहीं सोचा था। माखनलाल में सहाफत का एचओडी रहते हुए उनके हज़ारों शागिर्दों में अपने पीपी सर के इंतक़ाल की ख़बर से अफसोस पसरा हुआ है। पुष्पेंद्र पाल सिंह को उनके नए और पुराने शागिर्द और हालफिलहाल माखनलाल यूनिवर्सिटी में सहाफत के तालिबे इल्म (छात्र) पीपी सर के नाम से बड़े अदब-ओ-एहतराम से पुकारते थे। स्कूलों और कालिजों में यूं तो कई उस्ताद होते हैं…बाकी चंद उस्ताद ही उस्तादों के उस्ताद होते हैं। गोया के पीपी सर का किरदार और खूबियां उस्ताद लफ्ज़ को मौज़ू बनाती थीं। उनकी अज़ीमुश्शान शख्सियत उस्ताद की अहमियत और शागिर्द-ओ-उस्ताद के दर्मियान के रिश्तों की नौइयत को वाज़ेह करती रहीं। भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता और संचार राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में पीपी सर की आमद 1996 में हुई। इसी बरस इने यूनिवर्सिटी के दिल्ली सेन्टर का इंचार्ज बना दिया गया। दिल्ली से 1999 में ये रिटन भोपाल आ गए। फिर शुरू हुआ सहाफ़त (पत्रकारिता) की नई पौध को सींचने और गढऩे का काम। पीपी सर दिलो जान से बच्चों को पढ़ाते। आप साल 2005 में ये यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विभाग के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट हो गए। 1999 से 2015 तक 16 बरस तक इन्होंने सहाफत के हज़ारों तालिब-ए-इल्म बच्चों की तालीम-ओ-तरबियत करी। इस दरमियान इनकी मकबूलियत उरूज पे रही। पीपी सर ने पत्रकारों की नई पौध को प्रेक्टिकली ज़्यादा अपडेट किया। नतीजतन यूनिवर्सिटी में लपक प्लेसमेंट हुए। आज इनके पढ़ाए बच्चे हिंदुस्तान के हर बड़े मीडिया ग्रुप में भेतरीन काम दिखा रय हैं। भास्कर, जागरण, पत्रिका से लेके इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के हर नामवर चेनल में इनके शागिर्द मौजूद हैं। अगर ये कहा जाए के पीपी सर हिंदुस्तान के वाहिद ऐसे मक़बूल टीचर थे जिनके शागिर्द इत्ती बड़ी तादात में नाम कमा रहे हैं तो कुछ गलत न होगा। पीपी सर की उम्र तो 55 बरस थी बाकी इस सवा छह फीट लंबे उस्ताद का किरदार उम्र से कहीं ज़्यादा वसी (विराट) था। माध्यम में उनकी मसरूफियात बढ़ गई थी। फिर भी जब भी वक्त मिलता वो बच्चों को गाइड ज़रूर करते। इनके पुराने और नए शागिर्द इनमे अपने वालिद की सूरत देखते थे और बरबस ही उनके हाथ इनके क़दमो को छूने के लिए झुक जाते थे। सागर यूनिवर्सिटी से एमएससी जूलॉजी और एमए सोशियोलॉजी के बाद इंन्ने वहीं से सहाफत में बैचलर डिग्री ली। बाद में सहाफत (पत्रकारिता) की मास्टर डिग्री बनारस हिंदू विवि से ली। पीपी सर ने यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा से डिजिटल जर्नलिज़्म का एक महीने का कोर्स भी करा था। मालूम हो कि पीपी सर की बीवी का इंतक़ाल पहले ही हो चुका है। उनकी एक बेटी और एक बेटा है। उनके इंतक़ाल से जो ख़ला पैदा हुआ है उसे कभी नहीं भरा जा सकेगा। मीडिया की इस अज़ीमुश्शान हस्ती को पूरे अग्निबाण परिवार की तरफ से पुरनम आंखों से खिराजे अक़ीदत।

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