अलग-अलग दरों को लेकर उठाई आपत्तियां… दवा कारोबारियों ने भी मांगी वैक्सीन… अन्यथा जाएंगे हड़ताल पर
इंदौर। वैक्सीनेशन (Vaccination) धीमी गति से चल रहा है, क्योंकि डोज का ही टोटा है। मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने निजी क्षेत्र के जरिए वैक्सीनेशन बढ़ाने के लिए औद्योगिक जगत से जुड़े लोगों से कल इंदौर में भी वेबिनार के जरिए चर्चा की। सारे उद्योग अपने कर्मचारियों को वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार हैं, मगर उन्होंने मांग की कि शासन उन्हें वैक्सीन (Vaccine) उपलब्ध करवा दे, उसका खर्चा भी वे भुगत लेंगे। दूसरी तरफ एक लाख डोज निजी अस्पतालों ने भी मांगे हैं। वहीं नर्सिंग होम एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने वैक्सीन की दरों की विसंगता को लेकर सवाल खड़े किए और सरकार से कहा कि दोनों वैक्सीन की दरों में अंतर को खत्म किया जाए और एक ही दर पर वैक्सीन उपलब्ध हो, जिस दर पर सरकार को मिल रही है, ताकि अधिक से अधिक वैक्सीनेशन किया जा सके। दूसरी तरफ दवा कारोबारियों ने भी वैक्सीन की मांग की और कहा कि अन्यथा उन्हें दुकानें बंद करते हुए हड़ताल पर जाना पड़ेगा।
अभी सरकारी केन्द्रों पर ही नि:शुल्क वैक्सीन लगाई जा रही है, मगर बड़ी संख्या में लोग पैसा देकर भी वैक्सीन (Vaccine) लगवाना चाहते हैं। जिस तरह से पूर्व में 250 रुपए की राशि देकर निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगवाई थी, उसी तरह की व्यवस्था अब फिर किए जाने की मांग उठ रही है, लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार के पास वैक्सीन ही नहीं है। वैक्सीन के एक लाख से अधिक डोज तो इंदौर के ही निजी अस्पतालों ने मांगे हैं, जिसकी सूची बनाकर नर्सिंग होम एसोसिएशन ने शासन-प्रशासन को सौंपी भी है। दूसरी तरफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश जोशी और एसोसिएशन की इंदौर शाखा की सचिव डॉ. साधना सोडानी ने वैक्सीन की अलग-अलग दरों पर आपत्ति जताई है। सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा बनाई जाने वाली कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की दरें सरकार के साथ निजी क्षेत्र के लिए भी अलग-अलग हैं। केन्द्र सरकार को जहां ये दोनों कम्पनियां मात्र 150 रुपए प्रति डोज के रेट पर वैक्सीन दे रही हैं तो राज्य सरकारों को 300 और 400 रुपए के रेट पर, वहीं निजी अस्पतालों या क्षेत्रों के लिए 600 से 1200 रुपए का रेट रखा है। लिहाजा इन दोनों प्रमुख संस्थानों का कहना है कि कोरोना महामारी पर नियंत्रण वैक्सीनेशन (Vaccination) से ही हो सकता है, लिहाजा इनकी दरें नियंत्रित की जाना चाहिए और एक समान रेट पर पूरे देश में वैक्सीन उपलब्ध हो। इस आशय का पत्र मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री को भेजा भी गया है। दूसरी तरफ जो दवा कारोबारी हैं, उनका भी कहना है कि फ्रंटलाइन वर्कर की तरह उन्हें भी अलग से वैक्सीन डोज लगाए जाएं, क्योंकि वे लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में सभी दवा कारोबारी निरंतर काम कर रहे हैं और 650 से अधिक दवा कारोबारियों की अभी तक देशभर में कोरोना के चलते मौत हो गई, जिनमें इंदौर के भी कई दवा बाजार के कारोबारी और केमिस्ट शामिल हैं। लिहाजा इन दवा कारोबारियों का भी कहना है कि वैक्सीन (Vaccine) के डोज उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि वे अपने सभी विक्रेता, दुकानदार और केमिस्ट दुकानों पर काम करने वाले स्टाफ को वैक्सीन (Vaccine) लगवाकर सुरक्षित कर सकें।
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