इंदौर न्यूज़ (Indore News)

जन सुनवाई या जग हंसाई, कलेक्टर वीसी में, अधिकारी मोबाइल में बिजी, आवेदक अपर कलेक्टर के भरोसे

इंदौर।  लगभग 500 आवेदक लाइन में, कलेक्टर (collector)  वीसी में और अधिकारी मोबाइल में बिजी नजर आ रहे हैं। हर मंगलवार होने वाली जनसुनवाई (public hearing) उच्चाधिकारियों के लिए जहां प्रतिष्ठा का प्रश्न है, वहीं विभागीय अधिकारियों (departmental officers)  के लिए टाइम पास है। कलेक्टर (collector) के सुनवाई में न बैठने के दौरान लगभग 300 आवेदकों को अपर कलेक्टर ने सुना।
शिक्षा विभाग (education department), महिला एवं बालविकास विभाग, भरण पोषण अधिनियम के तहत चौपाल, बिजली विभाग, सहकारिता विभाग, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, अनुसूचित एवं जनजाति विभाग जैसे 35 से अधिक विभाग के अधिकारियों को कलेक्टर में आयोजित होने वाली जनसुनवाई मे बैठाया तो आवेदकों की समस्याएं सुनने के लिए है, लेकिन यही अधिकारी तीन घंटे तक सिर्फ फोन पर ही बिजी नजर आते हैं। वाट्सएप (whatsapp), इंस्टाग्राम (instagram) चलाने से लेकर विभिन्न एप के माध्यम से खबरों पर नजर रखने का सिलसिला जनसुनवाई के तीन घंटों में ही किया जा रहा है।


घर-बार की बातें
सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक जनसुनवाई (public hearing) में बैठे अधिकारी फोन पर न केवल विभागीय काम करते रहते हैं, बल्कि पारिवारिक जिम्मेदारियां भी फोन पर ही निभा रहे हैं। फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम के माध्यम से खुद को व्यस्त दिखाते हैं। व्यस्तताओं का आलम यह है कि कलेक्टर व अपर कलेक्टर आवाज लगाते रहते हैं और अधिकारी मोबाइल में खोए रहते हैं। उच्चाधिकारियों के बुलाने पर ही किसी आवेदक की सुनवाई कर रहे हैं।


कलेक्टर से भी निराशा
जनसुनवाई कक्ष के बाहर सुबह 11 बजे से ही लोगों का तांता लगा हुआ था। आवेदक सुबह से ही भूखे-प्यासे अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। कलेक्टर से मिलने और अपनी समस्या का समाधान लेने की आस से पहुंचे आवेदको को उस वक्त मायूसी हाथ लगी, जब कलेक्टर सीट पर नजर नहीं आए। अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर और अपर कलेक्टर राजेश राठौर आवेदकों की सुनवाई चार बजे तक करते रहे, वहीं दूसरे अधिकारी मोबाइल चलाते नजर आए।


ऐसी संवेदनशीलता क्यों नहीं
विभिन्न विभाग के अधिकारियों की मोबाइल व्यस्तता पर कहना था कि हर आवेदक सिर्फ कलेक्टर से ही मिलना चाहता है। हमारे पास कोई आवेदन नहीं आते। उच्चाधिकारियों के निर्देशित करने के बाद ही आवेदक हम तक पहुंचता है। अपनी गुमशुदा बेटी की खोज के लिए पहुंची महिला ने नाम न लिखने की सूरत में बताया कि पता बताने के् बावजूद भी बेटी को ढूंढने में अधिकारी मदद ही नहीं करना चाहते। कई दिनों से वह अधिकारियों के चक्कर काट रही है, लेकिन पुलिस का काम कहकर पल्ला झाड़ा जा रहा है। महिला ने बताया कि विभाग के अधिकारी कहते हैं कि खुद लौट आएगी, परेशान मत हों।

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