भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

प्रभारी प्रमुख अभियंताओं के भरोसे लोक निर्माण विभाग

  • मुख्यालय में अभी कोई भी ईएनसी नहीं

भोपाल। प्रदेश में बड़ी-बड़ी योजनाओं-परियोजनाओं के निर्माण का कार्य कर रहा लोक निर्माण विभाग ‘प्रभारियों’ के भरोसे है। यानी लोक निर्माण विभाग में अभी कोई स्थाई प्रमुख अभियंता (ईएनसी)नहीं है। हैरानी की बात यह है कि लोक निर्माण विभाग का प्रमुख अभियंता बनने के लिए पात्र दो वरिष्ठ अधिकारियों पीसी बारस्कर और आरके मेहरा को दरकिनार कर दो प्रमुख अभियंताओं को नई नियुक्ति दी है, किंतु दोनों को पीडब्ल्यूडी के मुख्यालय निर्माण भवन से बाहर रखा गया है। इसे लेकर सवाल उठना शुरू हो गए हैं। हैरानी की बात यह है कि पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में अभी कोई भी ईएनसी नहीं है और मुख्यालय में ईएनसी के दो पदों पर मुख्य अभियंताओं को प्रभारी ईएनसी बनाकर पदस्थ किया गया है। इसका असर विभिन्न जिलों में चल रहे सैकड़ों करोड़ रुपए के सड़क, बिल्डिंग, ब्रिज से लेकर अन्य निर्माण कार्यों पर पडऩा शुरू हो गया है।


पीसी बारस्कर को कोई पद नहीं
हालही में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी कर मंत्रालय में पीडब्ल्यूडी के सचिव के पद पर पदस्थ प्रमुख अभियंता पीसी बारस्कर को हटाकर उनके मूल विभाग में वापस कर दिया गया। किंतु उन्हें कोई पद नहीं दिया गया। इसी वजह से उन्होंने अभी तक अपनी ज्वॉइनिंग तक नहीं दी है। अभी कुछ दिन पहले बारस्कर कोरोना संक्रमित हो गए थे। इसी बीच उन्हें हटा दिया गया। किंतु उन्हें यह नहीं बताया गया कि उनकी नियुक्ति किस पद के लिए की गई है। आदेश में महज यह लिखा गया कि उन्हें मूल विभाग में वापस किया जाता है। जबकि राज्य योजना आयोग में सलाहकार के पद पर पदस्थ आरके मेहरा को मंत्रालय में पीडब्ल्यूडी का सचिव बनाया गया है। आयोग में उन्हें तीन साल के लिए पदस्थ किया गया था, किंतु महज डेढ साल से भी कम समय में वहां से वापस बुला लिया गया। आयोग में भी अभी तक किसी को पदस्थ नहीं किया गया है।

हजारों करोड़ के काम पर सीधा असर
पीडब्ल्यूडी में पहली बार ऐसा हो रहा है कि बिना किसी पद के ईएनसी स्तर के इंजीनियर को रखा गया है, जबकि दो मुख्य अभियंताओं को प्रभारी ईएनसी के पद पर पदस्थ कर दिया गया। इससे पीडब्ल्यूडी मुख्यालय से लेकर जिलों तक में असमंजस की स्थिति मच हुई है। इसका सीधा असर हजारों करोड़ रुपए के काम पर भी पडऩेे लगा है। बताते हैं कि प्रभारी ईएनसी बनाए गए नरेंद्र कुमार ने पूर्व के निर्देशों के विपरित अपना अलग से आदेश जारी करने लगे हैं। यही हाल परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) में भी है। यहां भी पीडी पीआईयू के पद पर पदस्थ जीपी मेहरा के साथ भी है। उन्होंने भी नए-नए निर्देश जारी करने लगे हैं। मैदानी जिलों के इंजीनियरों के समझ में नहीं आ रहा है कि वे इसे कैसे मैनेज करें। एक कार्यपालन यंत्री ने बताया कि इससे पीडब्ल्यूडी की व्यवस्था बिगड़ गई है। वे खुद हटने के लिए आवेदन करने जा रहे हैं। यहीं हाल कई और इंजीनियरों के भी हैं।

प्रभारी ईएनसी के औचित्य पर उठने लगे सवाल
पीडब्ल्यूडी के अधिकारी कर्मचारी से लेकर मैदानी जिलों के इंतजीनियर्स तक यह सवाल उठा रहे हैं कि ईनसी स्तर के इंजीनियर के रहते मुख्य अभियंताओं को प्रभारी ईएनसी बनाने का औचित्य समझ से परे है। इसमें भी पीडी पीआईयू के पद पर पदस्थ जीपी मेहरा के पास दो-दो बड़े पद हैं। उनके पास पीआईयू के साथ ही मप्र सड़क विकास निगम का भी चार्ज है। इसलिए ज्यादातर समय वे निगम में ही बिताते हैं। यदि निर्माण भवन में बैठे तो वहां से फाइलें यहां आती हैं। इससे चारों तरफ अफरातफरी का माहौल है। कई बार यह स्थिति भी सामने आई है कि फाइलों के मूवमेंट से वह फाइलें ठेकेदारों तक पहुंच रही है। दो-दो ईएनसी के रहते प्रभारी ईएनसी बनाने से भी उंगली उठने लगी है। पीसी बारस्कर का कहना है कि मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं, उन्हें सचिव पद से क्यों हटाया गया, यह तो नहीं पता, पर उन्हें मूल विभाग में वापस करने के बाद कोई पद नहीं देने से उन्हें खुद आश्चर्य है। इससे अधिक वे कुछ भी नहीं बता सकते। कायदे से विभाग में इएनसी के रहते हुए किसी सीई को प्रभारी इएनसी नहीं बनाया जाना चाहिए।

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