खेल

रवि शास्त्री को टीम इंडिया के इस खिलाड़ी में दिखी अपनी झलक

नई दिल्ली। रवि शास्त्री (Ravi Shastri) अपनी हरफनमौला काबिलियत की बदौलत 80 के दशक में सुनील गावस्कर और कपिल देव के ‘पसंदीदा’ हुआ करते थे और भारतीय मुख्य कोच का मानना है कि युवा वॉशिंगटन सुंदर (Washington Sundar) मौजूदा टेस्ट टीम में यही भूमिका निभा सकते हैं। बायें हाथ के विशेषज्ञ बल्लेबाज सुंदर ऑफ ब्रेक गेंदबाजी भी करते हैं, उन्होंने अपने चार टेस्ट में तीन अर्धशतकीय पारी खेलने के अलावा छह विकेट भी चटकाये हैं जिसमें स्टीव स्मिथ और जो रूट का विकेट भी शामिल है।

क्या आपको उसमें अपनी छवि दिखायी देती है? तो 80 टेस्ट के अनुभवी शास्त्री ने कहा, ‘मुझे लगता है कि वाशी में मेरी तुलना में ज्यादा नैसर्गिक प्रतिभा है। ‘ करीब 4000 रन और 150 से ज्यादा विकेट चटका चुके शास्त्री ने कहा, ‘उसमें काबिलियत है और वह काफी आगे जा सकता है। अगर वह अपनी गेंदबाजी (टेस्ट में) पर ध्यान दे तो भारत के पास विदेशी परिस्थितियों के लिये छठे नंबर पर बहुत अच्छा खिलाड़ी हो सकता है।

रवि शास्त्री ने रविवार को वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘ऐसा खिलाड़ी जो आपको 50, 60 और 70 के करीब रन बनाकर दे दे और फिर आपके लिये 20 ओवर गेंदबाजी करे और दो से तीन विकेट भी चटका सके। (1980 के पूरे दशक के दौरान) यह विदेशों में मेरा काम हुआ करता था और मुझे लगता है कि वह इसे आसानी से कर सकता है।’

शास्त्री ने सुझाव भी दिया कि वॉशिंगटन को तमिलनाडु के लिये सभी फॉर्मेट में टॉप 4 में बल्लेबाजी शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से, उसे अपने राज्य के लिये शीर्ष चार स्थान में बल्लेबाजी करनी चाहिए। इसके बारे में कोई सवाल ही नहीं है। मैं तमिलनाडु के चयनकर्ताओं या डीके (कप्तान दिनेश कार्तिक) से इस बारे में बात करना चाहूंगा। मुझे लगता है कि उसे टॉप चार स्थान में बल्लेबाजी करनी चाहिए। ‘

उनके लिये वॉशिंगटन की 96 रन की पारी (जो छह विकेट पर 153 रन के स्कोर पर बनी) चेन्नई में उनकी नाबाद 85 रन की पारी से ज्यादा बेहतर थी। उन्होंने कहा, ‘वॉशिंगटन सुंदर, यह स्वप्निल है। दुनिया के कुछ सबसे मुश्किल गेंदबाजों का सामना करना। मैं कहूंगा कि उसकी यह पारी काफी बेहतर थी क्योंकि विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप का स्थान दाव पर लगा था।’

शास्त्री ने कहा कि वह वॉशिंगटन और ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों से खुद को जोड़कर देख सकते हैं क्योंकि उन्होंने भी कम उम्र में विदेशों में सफलता का स्वाद चखा था। उन्होंने कहा, ’21, 22 या 23 साल की उम्र में मैंने भी इसी तरह की सफलता हासिल की थी इसलिये मैं उनसे खुद को जोड़कर देख सकता हूं क्योंकि मैंने विदेशों में सैकड़े बनाये थे। आप युवाओं के उत्साह को नहीं ले सकते। जिम्मेदारी तब आती है जब आप सब कुछ जानते हो और तभी जिंदगी शुरू होती है। ‘

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