भोपाल। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद दो पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम एवं अंटोनी डिसा का पुनर्वास खत्म कर दिया है। राज्य सरकार ने डिसा को रेरा अध्यक्ष पद से हटा दिया है। कांग्रेस सरकार में इन दोनों रिटायर्ड अफसरों की नजदीकियां बढ़ गई थीं। अब कमलनाथ सरकार द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग आयुक्त बनाए गए पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह भी निशाने पर हैं। सिंह को पिछले कार्यकाल में राजनीतिक पहुंच के चलते शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य सचिव बनाया था। रिटायरमेंट बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनका पुनर्वास किया था। मुख्य सचिव पद से हटने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डिसा को रेरा का अध्यक्ष बनाया था। जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार आई तब डिसा की पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से नजदीकियां बढ़ गईं थी। डिसा कमलनाथ के प्रशासनिक सलाहकार बन गए थे। उन्हें रेरा अध्यक्ष पद से हटने की यही मुख्य वजह बताई जा रही है। इससे पहले अप्रैल में राज्य शासन ने अटलबिहारी वाजपेयी सुशासन संस्था के प्रमुख से पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम की भी छुट्टी कर दी थी। एक बैठक के दौरान परशुराम की मुख्यमंत्री से नोंकझोक हुई थी। इसके तत्काल बाद परशुराम ने इस्तीफा दे दिया था। अब पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह भी सरकार के निशाने पर हैं। क्योंकि कमलनाथ सरकार ने उनका पुनर्वास किया था। कांग्रेस सरकार की मंशानुसार राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराने के लिए नियमों में संशोधन किया था। हालांकि बीपी सिंह की भाजपा हाईकमान में पकड़ मजबूत है।
मध्यप्रदेश में है पुनर्वास की परंपरा
मुख्य सचिव के पद से हटने के बाद पुनर्वास की परंपरा साहनी के समय से शुरू हुई। शिवराज के पिछले कार्यकाल में पांच मुख्य सचिव राकेश साहनी, अवनि वैश्य, आर परशुराम, अंटोनी डिसा और बीपी सिंह ने काम किया था। साहनी चार साल तक मुख्य सचिव रहे। उनका करीब 10 साल तक विद्युत नियामक आयोग, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में पुनर्वास रहे। इस दौरान वे सरकार के सलाहकार भी रहे थे। अवनि वैश्य ने रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लिया। इसे बाद परशुराम, डिसा और बीपी सिंह ने खुद का पुनर्वास कराया। डिसा ने रिटायरमेंट से पहले खुद के लिए चार इमली क्षेत्र में ख्ुाद के आलीशान सरकारी बंगला बनवाया था।
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