इंदौर न्यूज़ (Indore News)

सराफा में खरीदने से ज्यादा बेचने वाले, राजबाड़ा पर पैर रखने की जगह नहीं

– शुरू हो गई निजी पार्टियां
– अब शादियों की तैयारी
– 30 दुकानें सील
– 750 चालान भी बनाए
इंदौर। 64 दिन बाद इंदौर के अनलॉक (Unlock)  होते ही लोग बाजारों (markets) में टूट पड़े। एक बार फिर लापरवाही सामने आई। अभी दूसरी लहर (second wave) में कोरोना ने बहर बरपाया और बड़ी संख्या में मौतें भी हुईं, बावजूद इसके लोग सुधरने को तैयार नहीं हैं। जेल रोड से लेकर राजबाड़ा (rajwada) सहित अन्य बाजारों (markets) में जबरदस्त भीड़ नजर आई।

1 जून से अनलॉक (Unlock)  की प्रक्रिया शुरू की गई और शनिवार से कई अन्य छूटें भी दे दी गईं। लिहाजा अब लगभग पूरा शहर ही खुल गया है। कुछ ही गतिविधियां अभी प्रतिबंधित कर रखी हैं। शनिवार को तो साफ-सफाई और तैयारियों में ही बाजार जुटे थे, मगर सोमवार को जैसे ही सभी बाजार खुले तो खरीदारों की भीड़ उमड़ आई। दरअसल अभी शादियों के भी बहुत मुहूर्त हैं, लिहाजा सोना-चांदी, गारमेंट सहित अन्य खरीदी भी शुरू हो गई है। शासन ने भी 40 मेहमानों की अनुमति शादियों के लिए दे दी है। हालांकि 100-150 से कम में कोई शादी करता भी नहीं। हालांकि शहर के गार्डनों, होटलों में बुकिंग भी लोगों ने इसी हिसाब से की है। एक बार फिर बिना मास्क लगाए लोग बाजारों में घूमते नजर आए तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तो लगता है संभव ही नहीं है। 30 से अधिक दुकानें भी कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के मामले में सील की गईं, तो 750 लोगों के चालान भी मास्क न लगाने के मामले में बनाए गए। लगातार दी जा रही चेतावनी के बावजूद लोग सावधानी बरतने को तैयार नहीं। बड़े पैमाने पर निजी पार्टी भी फिर से घरों, फार्म हाउस और होटलों में चोरी-छुपे शुरू हो गई है और बाकायदा फेसबुक पर लोग इन पार्टियों के फोटो भी डाल रहे हैं, जबकि बार-बार चेताया जा रहा है कि तीसरी लहर का खतरा सामने है, लिहाजा मास्क सहित अन्य प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें।


कल सराफा (bullion) खुलते ही बाजार में भीड़ उमड़ पड़ी। बाहर से देखने पर लगा कि लोग शादी-ब्याह की खरीदारी करने उमड़े हैं, लेकिन हकीकत यह थी कि इनमें से 60 प्रतिशत लोग अपने जेवर गिरवी रखने या बेचने के लिए आए थे। यह खुलासा सराफा व्यापारियों ने किया। कोरोना बीमारी भले ही खत्म होती जा रही हो, लेकिन मध्यम और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों में अब इसके आर्थिक साइड इफेक्ट नजर आने लगे हैं। छोटी-छोटी बचत करने वाले लोगों की बचत खत्म होने और तीन महीने लगातार घर में बैठे रहने से लोगों की आर्थिक व्यवस्था चौपट हो गई है, वहीं बढ़ती महंगाई ने भी इस वर्ग के लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इसी को लेकर लोग अपने जेवर बेचने सराफा में पहुंचे थे। सराफा सोना-चांदी एसोसिएशन के अविनाश शास्त्री ने बताया कि व्यापारियों से हुई चर्चा के बाद जानकारी मिली कि करीब 60 प्रतिशत लोग जेवर बेचने आए थे। हालांकि इन्होंने 25 से 50 हजार तक की छोटी-मोटी ज्वेलरी ही बेची। कुछ ने चांदी के जेवर भी बेचे, जिनमें पायजेब, कमरबंद और दूसरी रकम शामिल थीं। किसी ने आधा तोला तो किसी ने एक तोला सोना तक बेचा।


मोबाइल सुधराने वालों और खरीदारों से जेल रोड जगह नहीं
शहर में जहां सबसे ज्यादा भीड़ कल नजर आई तो वो था जेल रोड (jail road) । करीब दो महीने बाद कल जेल रोड (jail road) अपने स्वरूप में आया और गलियों से लेकर मेनरोड तक वाहनों से पट गई। अधिकांश लोग अपने पुराने मोबाइल लेने आए थे जो उन्होंने लॉकडाउन के पहले सुधरवाने दिए थे। जिन लोगों के मोबाइल खराब हो गए थे वे भी मोबाइल लेकर आए। राजबाड़ा चौक के आसपास के बाजारों में भी कल अच्छी भीड़ दिखाई दी। वहीं खजूरी बाजार में स्टूडेन्ट्स और पैरेन्ट्स की भीड़ भी नजर आई।
शनिवार का दिन बाजार के व्यापारियों ने साफ-सफाई में बिताया, लेकिन सोमवार से पूरे बाजार अपने वास्तविक रूप में आ गए और बाजारों के साथ-साथ सडक़ों पर भी भीड़ बढ़ गई। सबसे ज्यादा भीड़ जेल रोड के मोबाइल और इलेक्ट्रानिक मार्केट में देखी गई। जेल रोड में हर दुकान पर दो से चार ग्राहक थे। ये या तो नए मोबाइल खरीदने आए थे या फिर कोरोना के पहले रिपेयरिंग के लिए दिए गए मोबाइल की डिलीवरी देने आए थे। मोबाइल की दुकानों के साथ-साथ जेलरोड की गलियों में स्थित मोबाइल रिपेयरिंग की दुकानों पर भी भीड़ देखी गई। वहीं राजबाड़ा से जुड़े आड़ा बाजार, इमामबाड़ा, सुभाष चौक, कृष्णपुरा से लेकर रिवर साइड रोड एवं कपड़ा मार्केट के साथ-साथ सीतलामाता बाजार, मारोठिया बाजार, बजाजखाना चौक में भी अच्छी खासी भीड़ रही। खजूरी बाजार में भी स्टूडेन्ट्स और पैरेन्ट्स की भीड़ किताबों और कॉपियों की दुकानों पर देखी गई। इस कारण वाहनों की चहल-पहल भी सडक़ों पर बढ़ गई और शाम को कई बाजारों में जाम जैसे हालात बन गए। वहीं सडक़ों पर खड़े ठेले वालों के कारण भी जाम लगता रहा।

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