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नहीं रहे ‘शांतिभूषण’, जिनकी दलीलों के आगे चित हुई थीं इंदिरा गांधी

नई दिल्‍ली (New Delhi)। सुप्रीम कोर्ट (SC) के जाने-माने, देश के दिग्गज अधिवक्ताओं में शुमार और तत्कालीन जनता पार्टी सरकार में कानून मंत्री शांति भूषण (Shanti Bhushan) नहीं रहे। वह 97 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मंगलवार (31 जनवरी, 2023) को वो हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने आज अंतिम सांस ली।

जानकारी के लिए बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ बीते पांच दशक से भी अधिक समय से उठने वाली सशक्त और मुखर आवाज हमेशा के लिए चुप हो गई। मोरारजी देसाई ने भ्रष्टाचार के मोर्चे पर कभी राजनीति में सर्वशक्तिमान रहीं इंदिरा गांधी से लोहा लिया, तो देश की शीर्ष अदालत से टकराने से भी नहीं चूके।


वहीं भ्रष्टाचार और व्यवस्था में बदलाव के लिए भूषण ने कई प्रयास किए। इसके लिए अपनी कानून की पढ़ाई का उपयोग करने के साथ राजनीति से लेकर गैर सरकारी संगठन को हथियार बनाया। नामी वकील प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण जनता पार्टी से जुड़े और मोरारजी सरकार में तीन साल तक कानून मंत्री रहे। फिर भाजपा से जुड़े, गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की स्थापना की, भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी। जीवन के अंतिम पड़ाव में आम आदमी पार्टी की स्थापना में अहम योगदान दिया।

जीवन के अंतिम पड़ाव में उन्होंने एक साक्षात्कार में न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का दावा कर सनसनी मचा दी। इस साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि देश के 16 मुख्य न्यायाधीशों में से 8 निश्चित रूप से भ्रष्ट और 6 निश्चित रूप से ईमानदार थे। इस मामले में अवमानना के मुकदमे का सामना करते हुए उन्होंने माफी मांगने के बदले जेल जाने की बात कही थी। शीर्ष अदालत में उन्होंने कहा था, पूर्व कानून मंत्री होने के नाते मुझे इस आशय का दृढ़ विश्वास है। ऐसे में माफी के बदले जेल जाना पसंद करूंगा।

शांतिभूषण भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ चिर विरोधी व्यक्तित्व के स्वामी थे। कानून के गहरे जानकार और भ्रष्टाचार के घोर विरोधी थे। उन्होंने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ राजनारायण मामले की इलाहाबाद हाईकोर्ट में पैरवी की थी। उनकी दमदार दलीलों के कारण ही इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द हुआ। इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा। यही मुकदमा देश में आपातकाल का कारण बना।

शांतिभूषण की कानून की बारीकियों की समझ की सभी दाद देते थे। दिवंगत मशहूर अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कई मौके पर भ्रष्टाचार की मुहिम में न सिर्फ उनका साथ दिया था, बल्कि उन्हें खुद से बेहतर अधिवक्ता बताया था। फर्जी सीडी, अदालत की अवमानना जैसे कई मामलों में जेठमलानी ने खुलकर भूषण का समर्थन किया था। वहीं भूषण के पिता बिजनौर में वकालत करते थे। बाद में वे प्रयागराज, फिर दिल्ली जाकर बस गए। जाटान मोहल्ले में उनका पैतृक आवास था।

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व पीएम ने जताया शोक
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शांति भूषण के निधन को बड़ी क्षति बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कानूनी क्षेत्र में शांति भूषण के योगदान और वंचितों के लिए बोलने के जुनून के लिए याद किया जाएगा।

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