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शिवपाल यादव BJP में नहीं होंगे शामिल, क्या आजम के साथ मिलाएंगे हाथ?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति (Uttar Pradesh politics) में शिवपाल यादव को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। चर्चा है कि शिवपाल यादव और भाजपा (Shivpal Yadav and BJP) में बात नहीं बनी है। इसलिए न तो शिवपाल भाजपा ज्वाइन करेंगे और न ही भाजपा उन्हें फिलहाल अपने साथ जोड़ेगी। ऐसी अटकलों के बीच में ही शिवपाल यादव ने बीते कुछ दिनों से न सिर्फ सरकार के ऊपर निशाना साधा है, बल्कि ईद की बधाइयों के दौरान उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए कि वह अब एक बार आत्मविश्वास के साथ लोगों के सहयोग से पुनर्गठन की तैयारी कर रहे हैं। शिवपाल यादव को करीब जानने वाले अनुमान लगा रहे हैं कि अब शिवपाल यादव अपनी पार्टी को नए सिरे से मजबूत कर खड़ा करने की तैयारी में हैं। संभवतय इस तैयारी में उनका साथ आजम खान भी देंगे।

उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों (assembly elections) के बाद भी चुनावी तपिश लगातार बरकरार है। इस बार चुनावी पारा शिवपाल यादव और भाजपा के बनते बिगड़ते समीकरणों को लेकर चढ़ा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि चर्चा यही थी कि शिवपाल यादव भाजपा ज्वाइन कर लेंगे लेकिन अब ऐसे हालात नजर नहीं आ रहे हैं। इसकी वजह बताते हुए उत्तर प्रदेश की राजनीति को करीब से समझने वाले एक वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं दरअसल भाजपा को जब शिवपाल यादव की जरूरत थी तब तो वह समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ गए।

सूत्र बताते हैं कि अगर शिवपाल यादव चुनाव से पहले भाजपा के साथ आ जाते हैं और नतीजे यही होते तब भी शिवपाल यादव को बहुत सम्मानजनक तरीके से भाजपा कहीं न कहीं समायोजित कर देती। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। भाजपा से भी जुड़े सूत्र बताते हैं कि समाजवादी पार्टी से जुड़ने के बाद भी शिवपाल यादव का जादू नहीं चला। ऐसे में अब उन पर पार्टी दांव लगाने से हिचक रही है। उक्त वरिष्ठ नेता कहते हैं कि चुनाव से पहले जब मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को बड़े सम्मान के साथ पार्टी में ज्वाइन कराया गया, तो शिवपाल यादव तो अपर्णा यादव से राजनीति में बड़ा कद भी रखते हैं और राजनैतिक अनुभव भी। अगर वह उस वक्त ही ज्वाइन कर लेते तो शायद बात कुछ और होती।


उत्तर प्रदेश की राजनीति को करीब से समझने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि जिस तरीके से बीते कुछ दिनों से शिवपाल यादव ने भाजपा सरकार को निशाने पर लेना शुरू किया है, उससे संदेश तो यही जा रहा है कि शिवपाल यादव और भाजपा के बीच में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। वे कहते हैं कि अब अंदर की बात तो शिवपाल यादव या भाजपा के वरिष्ठ नेता ही जान सकते हैं। लेकिन जिस तरह से भाजपा सरकार पर शिवपाल यादव हमलावर हैं, उससे संदेश सही जा रहा है कि शिवपाल यादव अपनी नई राह चुनने की ओर हैं। शिवपाल यादव ने बुधवार को ललितपुर में 13 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप की घटना पर न सिर्फ भाजपा सरकार पर निशाना साधा बल्कि पुलिस को भी खूब खरी-खोटी सुनाई। इस दौरान यह तक कह दिया कि उत्तर प्रदेश बेटियों के लिए इतना असुरक्षित और असंवेदनशील तो कभी रहा ही नहीं। सिर्फ कानून व्यवस्था पर ही शिवपाल यादव ने सरकार पर ठीकरा ही नहीं फोड़ा बल्कि उत्तर प्रदेश में बदहाल बिजली को लेकर भी शिवपाल यादव सरकार पर हमलावर हुए।

इसके अलावा शिवपाल यादव ने लाउडस्पीकर के मामले में भी सवाल उठाते हुए कहा कि बुनियादी सवाल यह है कि अचानक शुरू हुए इस फसाद की जड़ कौन है। राजनीतिक जानकार शिवपाल यादव के इन ट्वीट्स के तमाम मायने निकाल रहे हैं। एक वरिष्ठ राजनैतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर शिवपाल यादव के ट्वीट को आप विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे बीते कुछ समय से शिवपाल यादव सरकार के ऊपर जमकर हमला कर रहे हैं। उनका कहना है कि सब कुछ अचानक नहीं हुआ है। सरकार पर हमला करने वाले ट्वीट्स इस बात की ओर इशारा करते हैं कि शिवपाल यादव और भाजपा के बीच में चल रही आपसी सामंजस्य की गाड़ी पटरी से उतर चुकी है या उतर रही है।

शिवपाल यादव ने ईद पर बधाई देते हुए इशारों-इशारो में अखिलेश यादव पर जमकर निशाना भी साधा। अपने ट्वीट के माध्यम से शिवपाल यादव ने अपनी पीड़ा को बयां करते हुए कहा कि आखिर किस स्तर तक जाकर उन्हें चोट दी गई होगी कि वह उसको सहन नहीं सके। उन्होंने अपने ट्वीट में इशारों इशारों में अखिलेश यादव के लिए लिखा कि जिसे उन्होंने चलना सिखाया लेकिन वह उनको रौंदते हुए चला गया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसी ट्वीट में शिवपाल यादव ने अपने भविष्य की राजनीति का भी पूरा खाका खींच कर जनता के सामने रख दिया। वे कहते हैं कि शिवपाल यादव ने अपने ट्वीट में स्पष्ट लिखा है कि वह एक बार पुनः पुनर्गठन और आत्मविश्वास के साथ सब के सहयोग की अपेक्षा करते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं।


राजनीतिक जानकारों (political experts) का मानना है कि अगर सब कुछ सही तरीके से चला तो आने वाले दिनों में शिवपाल यादव और आजम खान मिलकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ नया कर सकते हैं। दरअसल शिवपाल यादव ने आजम खान को लेकर कहा था कि अगर मुलायम सिंह यादव सक्रिय होते तो आजम खान जेल में नहीं होते। इसके बाद शिवपाल यादव आजम खान से मिलने जेल भी गए और बिना राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जाने लगे कि शिवपाल यादव और आजम खां अब आपस में मिलकर या तो शिवपाल यादव के संगठन को मजबूत करेंगे या फिर अपना कोई नया संगठन मिलकर तैयार करेंगे। हालांकि इस बारे में किसी भी नेता की ओर से कोई आधिकारिक तौर पर बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन राजनैतिक हलकों में चर्चाएं जोरों पर हैं।

दरअसल दो दिन पहले शिवपाल यादव ने आजम खान के एक वीडियो को शेयर करते हुए ट्वीट किया था कि अच्छी और ईमानदार सोच हमेशा मुकाम पर पहुंचती है। शिवपाल यादव ने आजम खान को भरोसा दिलाते हुए कहा था कि वह उनके साथ हैं, उनके साथ थे और आगे भी रहेंगे। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि मुस्लिमों के बड़े नेता के तौर पर समाजवादी पार्टी में आजम खान का अपना एक अलग कद है। अगर मुसलमानों की राजनीति के सहारे शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का विकल्प बनने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें आजम खान का साथ बहुत फायदा पहुंचा सकता है। दरअसल रामपुर मुरादाबाद और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग मुस्लिम बहुल इलाकों से अचानक समाजवादी पार्टी की ओर से आजम खान को लेकर जो व्यवहार किया जा रहा है, उससे नाराजगी पनपनी शुरू हुई थी। आजम खान के समर्थकों की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि पार्टी उनके साथ बहुत शिद्दत से नहीं खड़ी है।

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