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श्रीकृष्ण ने राधा से किया था यह वादा, फिर रुक्मणी से क्यों रचा लिया विवाह? पढ़ें कथा

डेस्क: हिंदू धर्म ग्रंथों में श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम के कई प्रसंग मिलते हैं. श्रीकृष्ण बिन राधा के अधूरे माने जाते हैं, इसलिए जब भी श्रीकृष्ण का नाम आता है तो सबसे पहले राधा नाम पुकारा जाता है. जैसा कि सभी जानते हैं श्रीकृष्ण और राधा एक दूसरे को प्रेम करते थे परंतु श्रीकृष्ण का विवाह राधा से ना होकर रुक्मणी संग हुआ था. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि राधा-कृष्ण के बीच आध्यात्मिक प्रेम था, जबकि श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मणी बनीं.

श्रीकृष्ण ने राधा से किया था ये वादा
धार्मिक कथाओं के अनुसार, जब श्रीकृष्ण वृंदावन छोड़कर जा रहे थे, तब राधा को देखकर उनसे मिलने आए और वापस लौटकर आने का वादा किया. इसके बाद श्रीकृष्ण वृंदावन से चले गए. रुक्मणी श्रीकृष्ण को पसंद करती थीं और उन्हें मन ही मन अपना पति स्वीकार कर चुकी थीं.


श्रीकृष्ण को पता चला कि रुक्मणी का विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी और के साथ हो रहा है. तब उन्होंने रुक्मणी से विवाह रचा लिया. कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने राधा से इसलिए विवाह नहीं किया क्योंकि दोनों के बीच आध्यात्मिक प्रेम था. श्रीकृष्ण ये भी संदेश देना चाहते थे कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग हैं, प्रेम का अर्थ विवाह नहीं होता.

एक वजह ये भी
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण और राधा का विवाह नहीं होने की एक वजह ये भी मानी जाती है कि राधा का विवाह यशोदा के भाई रायान गोपा से होने के कारण वह रिश्ते में श्रीकृष्ण की मामी लगने लगी थीं. कहते हैं कि राधा रानी मां लक्ष्मी का स्वरूप थीं और रुक्मणी भी मां देवी का स्वरूप थीं, इसलिए माना जाता है कि राधा और रुक्मणी एक ही अंश थे. इस प्रकार श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था.

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