वाशिंगटन। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचकर इतिहास रचने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ( Shubhanshu Shukla) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से बातचीत के दौरान कई हैरान करने वाली बातें भी बताईं। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य दिखाई देता है। मैप में भारत को जितना बड़ा दिखाया जाता है उससे कहीं ज्यादा बड़ा यह वास्तविकता में नजर आता है। शुक्ला ने कहा कि यह केवल उनका सफर नहीं है बल्कि 140 करोड़ देशवासियों का सफर है।
शुभांशु शुक्ला ने कहा कि वह अंतरिक्ष में 28 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से सफर कर रहे हैं। हालांकि स्पेस स्टेशन के अंदर होने की वजह से उन्हें यह रफ्तार पता नहीं चलती है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने खिड़की से बाहर देखा तो वह हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे। उन्होंने कहा कि पृथ्वी की कक्षा से हम रोज 16 बार सूर्यास्त और सूर्योदय देखते हैं। हमारा देश बहुत रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।
ISS पर क्या है बड़ी चुनौती
ग्रुप कैप्टन शु्क्ला ने कहा कि इस अलग माहौल में रहने के लिए उन्होंने करीब एक साल तक ट्रेनिंग ली है। इसके बाद भी उन्हें कुछ अलग चीजों का सामना करना पड़ रहा है। जैसे कि वहीं बर माइक्रो ग्रैविटी है। शुक्ला ने कहा कि, यहां सोना बड़ी चुनौती है। कोई जमीन पर सो सकता है, छत पर जा सकता है लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होने पीएम मोदी को बताया, इस समय मैं बात भी कर रहा हूं तो मेरे पैर बंधे हुए हैं। नहीं तो मैं ऊपर की ओर उठ जाता।
यहां से नजर नहीं आतीं सीमाएं
शुभांशु शुक्ला ने पीएम मोदी को बताया कि अंतरिक्ष से पृथ्वी बहुत बड़ी नजर आती है लेकिन इसपर सीमाएं नहीं दिखती हैं। उन्होंने कहा, भारत बहुत भव्य और बहुत बड़ा दिखता है। बता दें कि गुरुवार को शुक्ला और अन्य दो अंतरिक्षयात्री आईएसएस पहुंचे हैं। 28 घंटे के सफर के बाद वे आईएसएस पर पहुंचे हैं।
पृथ्वी की 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा कर रहे आईएसएस पर मौजूद शुक्ला से बातचीत करते हुए मोदी ने कहा कि आपकी ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह विकसित भारत की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को नयी गति प्रदान करेगी। शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन की उनकी यात्रा न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र की सामूहिक उपलब्धि है।
शुभांशु शुक्ला 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। भारतीय वायुसेना के पूर्व अधिकारी एवं प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोवियत इंटरकोसमोस के साथ 03 अप्रैल 1984 को सोयुज़ टी-11 में पृथ्वी के बाहर उड़ान भरी थी।
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