इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

सिलावट-राजपूत का मंत्री बनना तो तय, बाकि शेष के लिए घमासान


आधा दर्जन पद ही हैं खाली, भीतरघातियों पर दोनों पार्टियों में कार्रवाई का दबाव

इंदौर। उपचुनावों के परिणामों के बाद भाजपा को जहां आगे तीन सालों के लिए स्पष्ट बहुमत मिल गया, वहीं अब शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए घमासान शुरू हो गया है। 6 मंत्री पद ही खाली हैं और एक दर्जन से अधिक दावेदार हैं। हालांकि इमरती देवी और गिरीराज दंडोतिया जो पूर्व मंत्री थे, चुनाव हार गए। वहीं एक और मंत्री कंसाना को भी हार का सामना करना पड़ा। तुलसीराम सिलावट और गोविंदसिंह राजपूत का तो मंत्री बनना तय है। अब शेष 4 पदों के लिए घमासान मचा है, जो इंदौर, भोपाल से होता हुआ दिल्ली तक चलेगा। फिलहाल शिवराज मंत्रिमंडल में 28 मंत्री हैं। हालांकि मुख्यमंत्री जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार से इनकार भी कर रहे हैं।

28 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को 19 सीटों पर जीत मिली है। हालांकि ग्वालियर-चम्बल संभाग में सिंधिया समर्थकों को हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं उनकी कट्टर समर्थक इमरती देवी भी चुनाव हार गई। हालांकि कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्रियों को बिना चुनाव लड़े और जीते ही शिवरा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया था। इमरती देवी के अलावा तुलसीराम सिलावट, गोविंदसिंह राजपूत तो मंत्री थे ही, लेकिन 6 महीने में फिर से विधायक ना बन पाने के चलते इन्हें पिछले दिनों इस्तीफे देने पड़े थे। अब चूंकि सांवेर से श्री सिलावट ने उपचुनाव में 53 हजार से अधिक मतों से शानदार जीत हासिल कर ली और गोविंदसिंह राजपूत भी विधायक बन गए हैं। लिहाजा इन दोनों का तो मंत्री बनना तय ही है। बस, विभाग क्या मिलेगा इसको लेकर अवश्य अटकलें लगाई जा रही है और समर्थकों के भी प्रयास हैं कि इस बार अच्छे विभाग मिलें। इंदौर से भी एक और मंत्री बनाए जाने की मांग कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही है, जिसमें दो नम्बर के विधायक रमेश मेंदोला का नाम सबसे आगे है। सांवेर के उपचुनाव में मिली एतिहासिक जीत के पीछे श्री मेंदोला की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, जिसकी प्रशंसा मुख्यमंत्री से लेकर संगठन ने की भी है। श्री मेंदोला के अलावा अन्य विधायक भी दौड़ में हैं, लेकिन सवाल यह है कि सिलावट और राजपूत के मंत्री बनने के बाद सिर्फ 4 पद ही बचेंगे और दावेदारों की संख्या एक दर्र्जन से ज्यादा है। इसके चलते मुख्यमंत्री से लेकर संगठन और संघ को अन्य जिलों और गुटों को भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देना पड़ेगा। वहीं सिंधिया खेमे से शिवराज सरकार में पहले 11 मंत्री थे, लेकिन इमरती देवी और गिरीराज दंडोतिया चुनाव हार गए। वहीं एक और मंत्री एदलसिंह कंसाना को भी हार का मुंह देखना पड़ा। श्री सिंधिया ही तय करेंगे कि उनकी ओर से किन और दो नए चेहरों को मंत्री बनाया जाए। सिलावट और राजपूत तो पहले से तय हैं हीं। यह भी प्रयास किए जा रहे हैं कि जो 6 मंत्री पद खाली हैं, उनमें से 3 सिंधिया खेमे से और 3 भाजपा अपने पुराने खेमे से बनाए जाए। मुख्यमंत्री के लिए भी कड़ी चुनौती है कि वे किसे मंत्री बनाएं। फिलहाल तो मंत्रीमंडल विस्तार की कोई तारीख तय नहीं है और भाजपा आलाकमान भी बिहार में सरकार बनाने में व्यस्त रहा। अब उसके बाद प्रदेश के मंत्रिमंडल पर चर्चा शुरू होगी। मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ-साथ विभागों को लेकर भी घमासान मचना तय है, क्योंकि सभी कमाऊ और महत्वपूर्ण विभाग लेना चाहते हैं। सिलावट समर्थकों की भी इच्छा है कि इस बार भिया को अच्छा विभाग मिले। पिछली मर्तबा तो जल संसाधन विभाग दिया गया था। अब सिलावट, राजपूत को समायोजित करने के बाद बचे 4 पदों के लिए कौन बाजी मारता है इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, जिसका जल्द ही फैसला हो जाएगा।

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