- दो विरोधियों के मिलन से ग्वालियर-चंबल की सियासत का चढ़ा पारा
भोपाल। प्रदेश की सियासत में भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (BJP leader Jyotiraditya Scindia) का तीन दिवसीय मप्र (MP) का दौरान खासा सुर्खियों में है। 9 जून को राजधानी में एक के बाद एक बैठकें करने के बाद सिंधिया (Sindhiya) 10 एवं 11 जून को ग्वालियर-चंबल के प्रवास पर रहे। इस दौरान वे भाजपा (BJP) के उन नेताओं के घर शोक व्यक्त करने पहुंचे जिनके परिवार में पिछले तीन महीने के भीतर कोई गुजर गया हो। सिंधिया (Sindhiya) शुक्रवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता (Senior BJP Leader) एवं कभी सिंधिया परिवार के कट्ठर विरोधी रहे जयभान सिंह पवैया (Jaibhan Singh Pawaiya) के घर उनके पिता के निधन पर शोक जताने पहुंचे। सिंधिया (Sindhiya) के पवैया के घर पहुंचने से ही ग्वालियर-चंबल की सियासत का पारा चढ़ गया है।
सिंधिया पवैया के घर करीब 33 मिनट तक रहे। पवैया से मिलने के बाद कहा कि पुरानी बातों को भूलकर अब मिलकर काम करेंगे। उन्होंने इसे पारिवारिक मुलाकात बताया है। जबकि पवैया ने इसे राजनीतिक मुलाकात बताया है और कहा कि एक कार्यकर्ता दूसरे कार्यकर्ता के घर शोक जताने आते ही हैं। बतौर पवैया वे दुख की घड़ी में सिंधिया परिवार के पास जाते रहे हैं। राजमाता सिंधिया के निधन के समय वे गए थे। ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया के निधन की खबर सुनकर वे श्योपुर में अपना कार्यक्रम रद्द करके दिल्ली गए थे। वहां से उनकी पार्थिव देह के साथ ग्वालियर आए थे। हालांकि सिंधिया पहली बाद पवैया के घर पहुंचे। पवैया जब मप्र सरकार में मंत्री थे, तब उनकी बेटी के शादी के दिन ही पुत्र का करंट लगने की वजह से निधन हो गया था। तब पवैया पर दुख का पहाड़ टूटा था। तब सिंधिया पवैया के घर शोक जताने नहीं पहुंचे थे।
महल विरोधी छवि
सियासत में पवैया की छवि महल विरोधी नेता की है। जल संसाधन विभाग के उपयंत्री की नौकरी छोडऩे के बाद पवैया ने सियासत में कदम रखा। वे बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक हैं और भाजपा के कट्ठर हिंदूवादी चेहरा है। पवैया महल के खिलाफ जितने मुखर होते गए, सियासत में उनका कद उतना ही बढ़ता गया।
वजूद तलाश रहे सिंधिया
सिंधिया के भिंड, ग्वालियर और मुरैना में नेताओं के घर जाकर शोक जताने पर पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने चुटकी ली है। सिंह ने कहा कि सिंधिया वजूद तलाशने के लिए घर-घर जा रहे हैं।