ब्‍लॉगर

तो कश्मीर से आने लगी अब खुशनुमा बयार

– आर.के. सिन्हा

लंबे अंतराल के बाद जम्मू-कश्मीर में खुशनुमा बयार बहने लगी है। इसे सारा देश महसूस कर रहा है। वहां मारकाट और हिंसा का दौर अब खत्म होता नजर आ रहा है। भारत विरोधी नेता और शक्तियां अप्रसांगिक होती जा रही हैं। कश्मीरी जनमानस को अब अच्छी तरह समझ आ रहा है कि देश के शत्रुओं ने उनके राज्य और अवाम का किस हद तक नुकसान किया है। राज्य में मोबाइल 4जी इंटरनेट सेवा डेढ़ साल बाद फिर बहाल हो गई है। आपको पता ही है कि सुरक्षा कारणों के चलते अगस्त 2019 में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगाई गई थी। घाटी में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल होने से लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। श्रीनगर में रहने वाले मेरे कुछ मित्रों ने कहा कि घाटी के लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सरकार के इस फैसले से कश्मीरी अवाम बहुत खुश है। कोरोना के कारण बंद स्कूल और कॉलेज भी खुल रहे हैं। जाहिर है, इसके चलते सारे माहौल में एक तरह की सकारात्मकता व्याप्त है। विद्यार्थी, उनके माता-पिता और अध्यापक सभी खुश हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी साफ कर दिया कि जम्मू कश्मीर को उपयुक्त समय पर पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जाएगा। यह एक बड़ा भरोसा दिया है गृहमंत्री ने पूरे देश को। इन सब हलचलों के अलावा कश्मीर में फिर से फिल्मों की शूटिंग के लिए बेहतर माहौल बनाया जा रहा है। बर्फ की चादर में लिपटी कश्मीर की हसीन वादियों को भारतीय फिल्मों को पिछले पचास दशकों में खूब दिखाया गया है। कश्मीर में हर जगह फिल्म की शूटिंग हो सकती है। यह एक सदाबहार शूटिंग स्थल है। यहां हर मौसम में शूटिंग हो सकती है। यहां दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं के लिए शूटिंग की पूरी संभावना है। बॉलीवुड के कई फिल्म निर्माता कश्मीर में शूटिंग के लिए आना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछली 14 फरवरी को बॉलीवुड के नामी फिल्मी हस्तियों से बात की। इस मुलाकात का मकसद, कश्मीर में एकबार फिर बॉलीवुड फिल्मों का निर्माण और फिल्म निर्माण के लिए कश्मीर में सुरक्षित माहौल मुहैया कराया जाना है।


मनोज सिन्हा जी से मेरे खुद के बहुत घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध हैं। उन्हें जो जिम्मेदारी मिलती है, उसे वे पूरी लगन और तन्मयता से करते हैं। वे बेहद अनुभवी, गंभीर और ईमानदार राजनेता हैं। आप मानकर चलिए कि कश्मीर घाटी में जल्द ही फिर से फिल्मों की शूटिंग होने लगेगी। वहां पर पिक्चर हॉल भी खुल जाएंगे। अब जबकि कोरोना का असर खत्म हो रहा तो राज्य के हजारों कपड़े बेचने वाले देश के विभिन्न भागों में कश्मीरी हस्तशिल्प और कपड़े बेचने निकल गए हैं। ये बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग वगैरह से संबंध रखते हैं। ये कश्मीरी फिरन, टोपियां, शालें, चादरें लेकर निकलते हैं। आप उनसे कभी मुलाकात हो तो राज्य के ताजा हालात के बारे में पूछिए। उनका जवाब होता है- “सब ठीक है।” कुछ लोग आशंका जता रहे थे कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के कारण उत्पन्न स्थिति के बाद कपड़े बेचने वाले अब नहीं आएँगे। पर यह नहीं हुआ। ये इसबार दिल्ली और उत्तर भारत के शेष राज्यों में पड़ी कड़ाके की सर्दी से खुश थे। उत्तर भारत में जाड़ा बढ़ने से उनका माल मजे- मजे में अच्छे दामों पर बिकता रहा।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर में बदले हालातों के लिए वर्तमान सरकार को ही क्रेडिट देना होगा। जम्मू-कश्मीर का विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जम्मू-कश्मीर में पंचायती राज की शुरुआत हुई है। पहले जम्मू-कश्मीर में तीन परिवार ही शासन कर रहे थे, इसलिए वे सदैव अनुच्छेद 370 के पक्ष में रहते थे। जम्मू-कश्मीर में निचली पंचायत के चुनाव हुए, जिसमें 74 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। कश्मीर के इतिहास में इतना भारी और उत्साहपूर्ण मतदान कभी नहीं हुआ था। वहां करीब 3,650 सरपंच निर्वाचित हुए, 33,000 पंच निर्वाचित हुए। गृहमंत्री शाह ने सही कहा, ”जम्मू कश्मीर में अब राजा का जन्म रानी के पेट से नहीं होगा, वोट से होगा। वोट से नेता चुने जाएंगे।”

सरकार ने जम्मू-कश्मीर की पंचायतों को अधिकार दिया है, बजट दिया है, पंचायतों को सुदृढ़ किया है और अब वहां अफसर भेजे जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में लोगों को स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर देने, काम के नये अवसर मुहैया कराने और खेलों को प्रोत्साहित करने जैसे कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत 58,627 करोड़ रुपये परिव्यय करने की 54 योजनाएं थीं और उसे लगभग 26 फीसद और बढ़ाया गया है। राष्ट्रपति शासन के बाद से लगभग हर घर को बिजली देने का काम पूरा हो गया है। जम्मू-कश्मीर के उद्योगों में सबसे बड़ी बाधा थी कि वहां कोई भी उद्योग लगाना चाहे तो उन्हें जमीन नहीं मिलती थी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद, जमीन के कानून में परिवर्तन किया और अब ऐसी स्थिति हुई है कि कश्मीर के अंदर हर प्रकार के उद्योग लग पाएंगे।

अब कश्मीरी अवाम से भी देश यह उम्मीद करेगा कि वह उन तत्वों से सावधान रहें जो अभीतक पाकपरस्ती करते थे और राज्य के कर्णधार बने हुए थे। इन्होंने कश्मीरी जनता को सिर्फ ठगा और छला। इसमें कोई शक नहीं है कि कश्मीर में कुछ पाकिस्तान समर्थक भी बने हुये हैं। इनकी निष्ठा सदैव पाकिस्तान के साथ रही है। जनता इनसे सावधान रहे। पाकिस्तान तो कश्मीर में सामान्य होते हालातों से बहुत हैरान-परेशान है। इसलिए अब इमरान कह रहे हैं कि कश्मीरी अवाम को पाकिस्तान से विलय और स्वतंत्र रहने का हक मिलेगा। इमरान खान से कोई पूछे कि तुम होते कौन हो कश्मीर की जनता को विकल्प देने वाले। वे याद रखें कि शीशे के घरों में रहने वाले कभी दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंकते। वे पहले अपना घर संभाल तो लें। कौन जाने कि आने वाले कुछ सालों में पाकिस्तान के कुछ और टुकड़े हो जाएं। वहां बलूचिस्तान तो एक मिनट के लिए भी पाकिस्तान के साथ रहना नहीं चाहता। सिंध में भी हालात कुछ ऐसे ही बन रहे हैं।

खैर, जम्मू-कश्मीर के लिए आने वाला वक्त महत्वपूर्ण होने वाला है। उसका चौतरफा विकास होना ही चाहिए। पिछले सत्तर सालों के दौरान एक बेहतरीन राज्य को कुछ खानदान नोच-नोचकर खाते रहे। अब जम्मू-कश्मीर देश की मुख्यधारा से जुड़ेगा।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)

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