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Sulli Deal ऐप पर Social workers ने दर्ज कराया कड़ा विरोध

नई दिल्ली। भारतीय मुस्लिम महिलाओं की सुल्ली डील नामक ऐप (Indian Muslim Women’s app called Sulli Deal) पर नीलामी किए जाने की घटना पर मुस्लिम समाज से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ताओं (Social workers associated with Muslim society) ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई बड़े मुस्लिम संगठनों से जुड़ी महिलाओं ने अपने दुख और आक्रोश को व्यक्त करने के लिए ट्विटर का भी सहारा लिया है। इस ऐप को गिटहब पर होस्ट किया गया था और इसे समुदाय संचालित ओपन सोर्स प्रोजेक्ट के तौर पर दिखाया गया था। ऐप में महिलाओं की सहमति के बिना सोशल मीडिया से ली गई उनके फोटो अपलोड किए गए थे। यहां पर लगभग 90 मुस्लिम महिलाओं की डील की गई जिनमें ज्यादातर भारतीय महिलाएं शामिल थीं।

जनकल्याण महिला समिति की अध्यक्ष मेहरून्निसा ने सुल्ली डील नामक ऐप पर आपत्ति दर्ज करते हुए इसे एक सभ्य समाज में घृणित कार्य करार दिया है। उनका कहना है कि इस घटना में शामिल लोग मानसिक रोग का शिकार हैं, उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने हमेशा मुस्लिम समाज ख़ासतौर से मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाते रहते हैं। ऐसे तमाम लोगों पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है।


मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता आसमां आशकीन का कहना है कि सुल्ली डील नामक ऐप के बारे में उन्हें जानकारी मिली है। इस ऐप पर चोरी-छिपे मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें और जानकारियां एकत्र कर उन्हें समाज में बदनाम करने की कोशिश की गई है। उनका कहना है इस मामले में पुलिस की सुस्ती पर संदेह हो रहा है। ऐसा लगता है कि इस अपराध के तार किसी बड़े सुनियोजित संगठनों से जुड़े हुए हैं जो कि मुसलमानों को अपमानित करने के काम में जुटे हुए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व निगम पार्षद अजहर शगूफा ने भी इस घटना पर कड़ी नाराजगी का इजहार करते हुए कहा है कि दिल्ली पुलिस इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही है। उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि यह मामला मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा हुआ है, इसलिए उसे गंभीरता से नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाएगी तो उन्हें विरोध करना पड़ेगा। जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतर कर इसका विरोध किया जाएगा।

ऐप पर अपनी एक तस्वीर मिलने के बाद पायलट हाना मोहसिन खान ने इस मामले की पोल खोलने का काम किया है। हाना मोहसिन खान किसी भी राजनीति या धर्म को लेकर नहीं लिखतीं क्योंकि उनका काम उन्हें इसकी अनुमति नहीं देता। वह ट्विटर पर केवल अच्छा समय बिताने के लिए आती हैं। वह अपने विमान और खुद की तस्वीरें शेयर करती हैं और केवल उसी के बारे में बात करती हैं। उन्हें सिर्फ इसलिए निशाना बनाया क्योंकि वह एक मुस्लिम महिला हैं। उन्होंने इसके खिलाफ 7 जुलाई को उत्तर प्रदेश में एफआईआर भी दर्ज कराई है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस प्रमुख को पत्र लिखकर घटना की जांच की मांग की। इससे पहले दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने घटना की मीडिया रिपोर्टों का स्वतः संज्ञान लिया और 10 दिनों में दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।

दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने बताया है कि बुधवार को एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और इस मामले की जांच की जा रही है। दिल्ली पुलिस के आई टी विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिकारी इस ऐप को बनाने वाले का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। गिटहब का कहना है कि उत्पीड़न, भेदभाव और हिंसा भड़काने वाली सामग्री और आचरण के खिलाफ पहले से ही नीतियां बनाई हैं। ऐसी तमाम गतिविधि की रिपोर्ट की जांच के बाद उपयोगकर्ता के एकाउंट्स को निलंबित कर दिया जाता है। पिछले दो महीनों में मुस्लिम महिलाओं पर इस तरह का यह दूसरा साइबर हमला है। 13 मई को लिबरल डोगे नाम के एक यूट्यूब चैनल ने ईद-उल-फित्र के मौके पर कई पाकिस्तानी महिलाओं की तस्वीरें अपमानजनक टिप्पणियों के साथ साझा क थीं। चूंकि पाकिस्तान में एक दिन पहले ईद मनाई गई थी जिसके बाद भारत में कई मुस्लिम महिलाओं ने इसी तरह के हमले के डर से अपनी तस्वीरें अपलोड नहीं की थीं।

गौरतबल है कि ऑनलाइन समूह के जरिए मुस्लिम लड़कियों को सुल्ली सेल में जोड़ा गया था। समूह में कई अज्ञात पुरुष उस पर बोली लगाते हैं और लड़कियों को बलात्कार करने की धमकियां भी मिलत रही हैं। इस गंभीर और आपत्तिजनक घटना से स्तब्ध हजारों मुस्लिम लड़कियां सोशल मीडिया से दूर हो रही हैं और अपनी तस्वीरों को हटाने का काम कर रही है। लोगों का कहना है कि ईद उल-अजहा से कुछ दिन पहले सुल्ली डील्स ऐप के लॉन्च से सांप्रदायिक तनाव को भड़काने का एक संगठित प्रयास किया गया (एजेंसी, हि.स.)

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