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वर्ल्ड सोलर टेक्नोलॉजी के पहले समिट का स्टेज तैयार, 8 सितंबर को होगा आगाज


नई दिल्ली। पहले वर्ल्ड सोलर टेक्नोलॉजी समिट की तैयारी पूरी हो चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को मोदी सरकार के तीन दिग्गज केंद्रीय मंत्री कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। केंद्रीय ऊर्जा और नवीन व नवीकरणीय उर्जा मंत्री आरके सिंह, केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान सोलर एनर्जी सेक्टर को लेकर भारत के अबतक का सफर और आगे की रोडमैप की जानकारी देंगे। उम्मीद की जा रही है कि भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रियों द्वारा सोलर एनर्जी सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाये जा रहे कदमों की जानकारी देंगे। इसके अलावा भारत सरकार के प्रिसिंपल साइंटिफिक एडवाइजर प्रो. के विजय राघवन भी इस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। 8 सितंबर की दोपहर 4.30 बजे शुरू होने वाले इस भव्य कार्यक्रम में सोलर तकनीक पर इंटरनेशनल जर्नल भी लॉन्च किया जायेगा।
कार्यक्रम की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 149 देशों के 26 हजार से अधिक लोग इस वर्चुअल समिट से जुड़ेंगे। सौर ऊर्जा की तकनीक को लेकर हितधारक कई नवेन्मेष (Innovation) का प्रदर्शित भी करेंगे। कार्यक्रम से जुड़े पार्टिसिपेंट्स के लिए मौका होगा कि वे सौर ऊर्जा में अगली पीढ़ी की तकनीक के बारे में जानकारी ले सकेंगे। इस सेक्टर से जु़ड़े कई उद्योगपति और कारोबारी भी वर्चुअल समिट से जुडेंगे। सोलर प्रोजेक्ट डेवलपर्स, इस सेक्टर से जुडे़ शोध और अनुसंधान में लगे वैज्ञानिक, शैक्षणिक संस्थान, थिंक टैंक, सिविल सोसायटी और रिसर्च और ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम से जुडे़ंगे। लिथियम ऑयन बैटरी क्षेत्र में क्रांतिकारी काम करने वाले साल 2019 के नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. एम स्टेन्ले विटिंघम अपने विचार इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में रखेंगे।
करीब 150 देशों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं। लिहाजा कार्यक्रम को एक से अधिक भाषाओं में लाइव करने की व्यवस्था की गई है। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम को अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच और अरबी में लाइव किया जायेगा।
करीब 51 हजार हेक्टेयर अपने खाली पड़े जमीनों पर रेलवे सोलर प्लांट लगाने के लिए हाल ही में डेवलपर्स के साथ बैठक की थी। साल 2030 तक अपने कुल ऊर्जा खपत 33 बिलियन यूनिट्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेलवे सौर ऊर्जा का सहारा लेगा। आपको बता दें कि फिलहाल रेलवे को 21 बिलियन यूनिट्स बिजली की जरूरत पड़ती है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में अडाणी, एसीएमई, एनटीपीसी, हीरो फ्यूचर एनर्जी, टाटा पावर और विक्रम सोलर सहित कई सोलर डेवलपर्स के साथ बैठक कर उन्हें हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया था। रेलवे के 960 से अधिक स्टेशनों को बिजली सोलर एनर्जी से आपूर्ति की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावाट की रीवा सौर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया था।
भारत में साल में करीब 3000 घंटे सूर्य की रोशनी पहुंचती है। भारत में 5 हजार लाख किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के बराबर सौर ऊर्जा पहुंचती है। इन्हीं सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने साल 2022 के अंत तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट, सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट, बायोमास से 10 गीगावाट और लघु जल विद्युत परियोजनाओं से 5 गीगावाट शामिल है। भारत में साल 2035 तक सौर ऊर्जा की मांग 7 गुणा बढ़ने की उम्मीद है।

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