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वित्तीय संकट से निपटने के लिए अपना रहे कड़ा मौद्रिक रुख, दक्षिण एशियाई देशों पर गवर्नर ने कही ये बात

 

नई दिल्ली। 1997 के एशियाई वित्तीय संकट ने पूंजी के बहिर्वाह और विनिमय बाजार पर दबाव बढ़ाकर दक्षिण एशियाई देशों को प्रभावित किया। उसके बाद के वर्षों में संकट से निपटने की रणनीति के रूप में दक्षिण-एशियाई देशों ने ठोस मैक्रो-इकोनॉमिक नीतियों को प्राथमिकता दी है। ये बातें भारतीय स्टेट बैंक के गवर्नर गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम के दौरान कही।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) परीक्षण चरण में है। केंदीय बैंक इस मोर्चे पर बहुत सावधानी और सावधानी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि सरकार और आरबीआई रुपये में सीमा पार व्यापार के लिए दक्षिण एशियाई देशों के साथ चर्चा कर रहे हैं। भारत सहित दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए प्राथमिकता मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है। मुद्रास्फीति ऊंची रहने पर विकास दर प्रभावित होती है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि मुद्रास्फीति को काबू में रखना भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए शीर्ष प्राथमिकता है। अनियंत्रित मूल्य वृद्धि से विकास दर और निवेश से जुड़े जोखिम पैदा होते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कर्ज का बढ़ता स्तर और महंगाई का दबाव क्षेत्र के आर्थिक विकास की राह का रोड़ा है। इन दोनों को नियंत्रित किया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि कोविड-19 से संबंधित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, यूक्रेन में युद्ध के बाद खाद्य और ऊर्जा संकट और आक्रामक मौद्रिक नीति सख्ती के कारण दक्षिण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं में निरंतर महंगाई बढ़ी है। उन्होंने कहा 2022 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान दक्षिण एशिया में खाद्य पदार्थों से जुड़ी मुद्रास्फीति औसतन 20 प्रतिशत से अधिक रही।

उन्होंने कहा, ‘कॉमोडिटीज की कीमतों में हालिया नरमी और आपूर्ति श्रृंखला की अड़चनों के बहुत हद तक घटने से मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलनी चाहिए। लेकिन अगर महंगाई कीउच्च स्तर पर बनी रहती है तो वृद्धि और निवेश परिदृश्य के लिए जोखिम बढ़ सकता है। दास ने कहा कि आयातित जीवाश्म ईंधन पर क्षेत्र की भारी निर्भरता ने इसे आयातित ईंधन मुद्रास्फीति के प्रति संवेदनशील बना दिया है।

सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करेगा आरबीआई
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने दो चरणों में 16,000 करोड़ रुपये के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की नीलामी करने की घोषणा की। आरबीआई ने कहा कि केंद्रीय बैंक 25 जनवरी और 9 फरवरी को 4,000-4,000 करोड़ रुपये के दो 5-वर्षीय और 10 वर्षीय ग्रीन बॉन्ड की नीलामी करेगा और यह एक समान मूल्य की नीलामी होगी।

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