लंदन। भारत में जल्द ही फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) की कोरोना वायरस वैक्सीन भी आ सकती है। जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक भारत में मिले कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप (Delta Variant – B.1.617.2) के खिलाफ यह वैक्सीन कम ऐंटीबॉडी पैदा करती है।
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि फाइजर-बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca vaccine) के कोरोना वायरस रोधी वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैंफ उन्होंने स्कॉटलैंड में किए अपने विस्तृत अध्ययन में पाया कि फाइजर-बायोएनटेक टीका शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बेहतर एंटीबॉडी तैयार करती है।
द लैंसेट में प्रकाशित एक शोध पत्र में प्रस्तुत किए गए इस निष्कर्ष को ऐसे समय में पेश किया गया है, जबकि ब्रिटेन की सरकार कोविड-19 के डेल्टा स्वरूप के मामलों में लगातार वृद्धि की वजह से 21 जून के बाद सभी लॉकडाउन पाबंदियों को और चार सप्ताह तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। जन-स्वास्थ्य स्कॉटलैंड (Public Health Scotland) के कोविड-19 मामलों के निदेशक जिम मैकमेनामिन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘इस बात की आवश्यकता है कि हम सभी लोगों को आगे आने और वैक्सीन की दोनों खुराक के साथ ही उन्हें टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करें।
एडिनबर्ग और स्ट्रैथक्लाइड विश्वविद्यालयों के साथ-साथ पब्लिक हेल्थ स्कॉटलैंड के शोधकर्ताओं ने पाया कि फाइजर वैक्सीन ने कोरोना वायरस के अल्फा वेरिएंट के खिलाफ 92% और दूसरी खुराक के 14 दिन बाद डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 79% सुरक्षा प्रदान की. इसकी तुलना में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ने डेल्टा वेरिएंट के विरुद्ध 73% और 60% सुरक्षा ही मुहैया कराई, हालांकि शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि डाटा की अवलोकन प्रकृति के कारण दोनों वैक्सीन की तुलना सावधानी से की जानी चाहिए।
विदित हो कि ब्रिटेन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की 11 जून को जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि सबसे पहले भारत में पाए गए कोविड-19 डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) या चिंताजनक वेरिएंट (VOC) B1.617.2, ब्रिटेन में पाए गए अल्फा स्वरूप से लगभग 60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है और टीकों की प्रभावशीलता को भी कुछ हद तक कम कर देता है।
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