- सुर सम्राट के कार्यक्रम में उनके नाम का अलंकरण ही कर दिया गायब
भोपाल। भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन अखिल भारतीय तानसेन संगीत एवं अलंकरण समारोह 25 दिसंबर से होने जा रहा है। ग्वालियर के हजीरा स्थित संगीत सम्राट तानसेन की समाधि पर होने वाले इस समारोह में भारतीय शास्त्रीय संगीत के कई प्रतिष्ठित कलाकार शिरकत करेंगे। आयोजन का यह 97 वां वर्ष है। खास बात यह है कि सुर सम्राट तानसेन की याद में होने वाले तानसेन समारोह में तानसेन सम्मान 2021 ही नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ ही राजा मानसिंह अलंकरण भी नहीं दिया जाएगा। सिर्फ 8 कलाकारों को कालिदास अलंकरण प्रदान कर इतिश्री कर ली जाएगी। इसकी वजह समय पर जूरी (चयन समिति) नाम तय नहीं कर पाई, क्योंकि दोनों ही सम्मान का निर्णय जूरी ही करती है। संभवत: अब ये अलंकरण अगले वर्ष या फिर बीच में किसी कार्यक्रम के दौरान दिए जाएंगे। तानसेन समारोह के मंच पर इस बार 2013 से 2020 तक के कालिदास सम्मान दिए जाएंगे।
संगीत सम्राट तानसेन की याद में होने वाले संगीत समारोह में संगीत के क्षेत्र में विशेष ख्याति प्राप्त कलाकारों के सम्मान की परंपरा भी रही है। तानसेन अलंकरण के रूप में दो लाख रुपए और राजा मानसिंह अलंकरण के तौर पर एक लाख रुपए की राशि शॉल, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। मध्यप्रदेश संस्कृति मंत्रालय भोपाल ने 1980 से तानसेन अलंकरण परंपरा की बड़े स्तर पर शुरुआत की। सबसे पहले वर्ष 1980 में पंडित कृष्णराव शंकर पंडित को तानसेन अलंकरण दिया गया।
तानसेन अलंकरण विभाग तय करता है
अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक जयंत माधव भिसे का कहना है की तानसेन अलंकरण को विभाग तय करता है, अकादमी से इसका कोई संबंध नहीं है। इसकी जूरी की प्रक्रिया होती है। वैसे तानसेन समारोह में कालिदास अलंकरण दिए जा रहे हैं, तानसेन अलंकरण आगे किसी कार्यक्रम में या अगले साल दिया जाएगा। कार्यक्रम के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। वहीं ग्वालियर संभागायुक्त आशीष सक्सेना का कहना है कि तानसेन अलंकरण संस्कृति विभाग देता है ये क्यों नहीं दिया जा रहा है, इसे आपको उनसे ही पूछना चाहिए। हम लोग तो व्यवस्थाएं देखने वाले लोग हैं।