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रीटेल क्षेत्र में बड़ा धमाका करने वाला है टाटा


मुंबई। जिस तरह चीन में जैक मा और पोनी मा ने अलीबाबा और टेनसेंट के जरिए वहां के इंटरनेट बिजनस पर पूरा अधिकार कर लिया है। ऐसा लग रहा है कि भारत के 130 करोड़ लोगों के डेटा पर कंट्रोलिंग बिजनस केवल दो लोगों के बीच सिमट कर रह जाएगा। खबर है कि टाटा ग्रुप एक सुपर ऐप लेकर आने वाली है जो चाइनीज वी चैट की तरह होगा। माना जा रहा है कि टाटा संस अपने सुपर ऐप के लिए वॉलमार्ट से हाथ मिला सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक वॉलमार्ट 25 अरब डॉलर का निवेश टाटा ग्रुप में कर सकती है।

टाटा ग्रुप इस ऐप की मदद से अपने फैशन, लाइफस्टाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रीटेल, ग्रॉसरी, इंश्योरेंस, फाइनैंशल सर्विसेज जैसे बिजनस को एक प्लैटफॉर्म पर लाएगी। मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सुपर ऐप पर डिजिटल कंटेट, एजुकेशनल कंटेट भी उपलब्ध होगा।

अंबानी को जियो का फायदा
मुकेश अंबानी और टाटा ग्रुप-दोनों के अपने-अपना फायदे हैं। मुकेश अंबानी को जियो के 40 करोड़ यूजर्स का फायदा है। इसके अलावा रिलायंस का रीटेल चेन भारत में सबसे बड़ा है। इसके करीब 12 हजार स्टोर्स हैं। रतन टाटा की बात करें तो टाटा ग्रुप के 100 से अधिक बिजनस हैं। वह चायपत्ती से लेकर कार तक बनाती है। हर कैटिगरीज के बिजनस के लिए कंप्लीट अलग-अलग सप्लाई चेन सिस्टम है।

वॉलमार्ट के साथ करार तो फ्लिपकार्ट का मिलेगा फायदा
ऐसे में अगर टाटा ग्रुप एक ऐसा पोर्टल विकसित करती है जहां इसके वेंडर्स अपना सामान बेच सकते हैं तो इसका दायरा काफी बढ़ जाएगा। इन सब के बीच अगर वॉलमार्ट के साथ करार हो जाता है तो टाटा के पास फ्लिपकार्ट का समर्थन हासिल हो जाएगा। वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट का 16 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया था।

टेलिकॉम सेक्टर से बाहर हो चुकी है टाटा
टाटा ग्रुप के सामने कुछ चुनौतियां हैं। वह टेलिकॉम बिजनस से बाहर निकल चुकी है। अगर होती तो इस काम में फायदा होता। एयर इंडिया और एयरएशिया ग्रुप की हालत खराब है। अगर टाटा एविएशन सेक्टर में रहना चाहती है और एयर इंडिया जो कभी टाटा की कंपनी थी, उसे खरीदती है तो उसे बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत होगी। टाटा ग्रुप पर 20 अरब डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। मुकेश अंबानी ने हाल ही में RIL को नेट डेट फ्री किया है।

टाटा ग्रुप का शापूरजी पालोनजी मिस्त्री के साथ विवाद चल रहा है। ग्रुप ने SPG ग्रुप से टाटा संस की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की बात की है। इसके लिए उसे अरबों डॉलर की जरूरत होगी। दूसरी तरफ रिलायंस की बात करें तो मुकेश अंबानी ने रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स पर अपनी निर्भरता घटा दी है। वर्तमान में रिफाइनिंग बिजनस की हालत पूरी दुनिया में बहुत खराब है।

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