इंदौर। प्रदेश के मुख्य सचिव बनने के बाद आईएएस अधिकारी अनुराग जैन ने स्पष्ट किया था कि किसी भी अधिकारी को उस जिले में फिर से नहीं भेजा जाएगा, जहां वह लंबे समय तक रह चुके हैं, किंतु उनकी यह बात कल सामने आई तबादला सूची में खोखली साबित हुई। इंदौर में तबादला किए गए अधिकारियों के नाम की सूची स्पष्ट कर रही है कि नियमों को शिथिल कर तबादले किए गए हैं। कल जारी की गई तबादला सूची में इंदौर से जाने वालों की संख्या कम है और इंदौर आने वालों की संख्या अधिक है।
इंदौर का मोह यहां तैनात होने वाले अधिकारियों को नहीं छोड़ रहा है। 1 साल 6 महीने में खुद के वहन पर वापस यहीं लौटकर आने की कवायद जारी है। कल जारी तबादला सूची में इंदौर जाने वालों से ज्यादा आने वालों के नाम नजर आ रहे हैं। इंदौर से जाने में तहसीलदार शैवालसिंह, जगदीश रंधावा के साथ प्रभारी तहसीलदार निर्भरसिंह पटेल, नायब तहसीलदार देवेंद्र कछावा और जितेंद्र सोलंकी शामिल हैं। वहीं इंदौर में लंबे समय तक पदस्थ रहे तहसीलदार राजेशकुमार सोनी को फिर से इंदौर भेजा गया है, जबकि उन पर दो बार इंदौर में स्थापना के दौरान कई आरोप लग चुके हैं।
कनाडिय़ा का बहुचर्चित पार्वतीबाई जमीन मामला उनसे जुड़ा रहा है। इंदौर में उनके कई कारनामे चर्चा का विषय बने थे। पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह ने उन्हें वर्ष 2018 में इंदौर समीक्षा के दौरान निलंबित करने के आदेश भी दिए थे। इसी तरह तहसीलदार संगीता बोलिया को लेकर भी शिकायत सामने आई थी। उन्हें फिर से इंदौर भेजा गया है। सत्येंद्रप्रतापसिंह गुर्जर का नाम भी इस सूची में शामिल है, जो पहले लंबे समय तक इंदौर में पदस्थ रह चुके हैं। उन पर भी पहले आरोप सामने आए थे। नायब तहसीलदार निधि राजपूत धाकड़ भी पूर्व में इंदौर में रह चुकी हैं, वहीं प्रभारी अधीक्षक भू-अभिलेख अनिल मेहता का तबादला कर महेंद्र गौड़, जो पहले इंदौर में लंबे समय तक रहे हैं, को फिर से इंदौर भेजा गया है। प्रभारी नायब तहसीलदार राकेश पगारे, जो इंदौर में लंबे समय तक राजस्व निरीक्षक रहे हैं, को देवास से राजस्व प्रशिक्षणशाला इंदौर पदस्थ किया गया है।
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