बड़ी खबर मध्‍यप्रदेश

बोवनी के बाद पानी न मिलने से फसल सूखने का संकट

गुना । मानसून को दस्तक दिए लगभग एक पखवाड़ा हो चुका है, लेकिन झमाझम बारिश (drizzle rain) का इंतजार अब भी बना है। इसका सबसे ज्यादा असर अन्नादाता पर पड़ा है, जो खेतों में बोवनी नहीं कर पा रहा है। हल्की बारिश के बाद जिन किसानों ने बोवनी कर दी थी, अब उन्हें फसल सूखने और दोबारा बोवनी की चिंता सता रही है।

इधर, कृषि विभाग ने कृषकों को सलाह दी है कि मक्का, ज्वार, मूंग व उड़द की बोवनी करने वाले किसान अब स्प्रिंकलर से सिंचाई करें, तो सोयाबीन की बोवनी चार इंच बारिश के बाद ही की जाए। दरअसल, जिले में 18 जून को मानसून दस्तक दे चुका है। इस दौरान तेज हवा और आंधी के साथ कभी-कभार रुक-रुककर हल्की बारिश भी हुई।



जिले के बमोरी, आरोन, म्याना और गुना के कई किसानों ने मक्का, ज्वार, मूंग व उड़द की बोवनी भी कर दी। क्योंकि, मानसून के आने और हल्की बारिश से किसान को उम्मीद थी कि बारिश होगी। लेकिन बारिश का इंतजार बना हुआ है। इससे जिन खेतों में बोवनी हो चुकी है, उनकी फसलें पानी न मिलने से सूखने लगी हैं। इससे अन्नादाता को चिंता सताने लगी है कि दोबारा बोवनी न करना पड़ जाए। क्योंकि, फसल को पानी नहीं मिला, तो अंकुरण की संभावना भी कम रह जाएगी।

 

बारिश की खेंच का दूसरा पहलू यह कि अब भी लक्ष्य से तीनगुना खेत बोवनी के लिए तैयार होकर भी सूने पड़े हैं, क्योंकि पानी न गिरने से किसान बोवनी नहीं कर पा रहा है। ऐसे में किसान को बोवनी में विलंब से नुकसान की आशंका भी सता रही है।

 

70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी

 

कृषि विभाग के अनुसार इस साल खरीफ का लक्ष्य तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र रखा गया है, हालांकि, अभी अच्छी बारिश न होने से महज 70 हजार हेक्टेरयर क्षेत्र में ही बोवनी हो सकी है। लेकिन पानी न गिरने से इन फसलों को भी नुकसान की संभावना बन रही है, क्योंकि, इन फसलों को पानी नहीं मिला, तो सूखने का खतरा भी मंडरा जाएगा। वहीं ऊंची-नीची और पथरीली जमीन पर फसल के अंकुरण न होने की स्थिति बन सकती है। ऐसे में विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि जहां बोवनी हो चुकी है, वहां स्प्रिंकलर से सिंचाई करे, जबकि सोयाबीन की बोवनी चार इंच पानी गिरने के बाद ही की जाए।

 

अन्नादाता पर पड़ सकती है दोहरी मार

 

इधर, बोवनी वाले खेत पानी मांग रहे हैं, लेकिन किसान इस समय तीन फेस बिजली मांगता है, तो उसे एक महीने का अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ेगा। यदि सिंचाई नहीं की गई, तो फसल सूखने से दोबारा बोवनी करना पड़ेगा। इस तरह किसान पर फिलहाल दोहरी मार पड़ने के आसार बने हुए हैं, जबकि पिछले सालों में प्राकृतिक आपदाओं से जूझने के बाद इस बार अन्नादाता का रुझान सोयाबीन की फसल से उचटा है, जिसके चलते रकबा भी आधा रह गया है, लेकिन अब दूसरी फसलों को पानी नहीं मिला, तो फिर संकट जैसे हालात बन रहे हैं।

 

इस संबंध में गुना कृषि विभाग के उपसंचालक अशोक उपाध्याय का कहना है कि खरीफ सीजन के लिए इस बार तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी का लक्ष्य है। इसके मुकाबले अभी लगभग 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी हो चुकी है। लेकिन पानी नहीं गिरने से किसानों को स्प्रिंकलर से सिंचाई की सलाह दी गई है। क्योंकि, फसल को पानी नहीं मिला, तो सूखने और अंकुरण न होने की समस्या खड़ी हो जाएगी। ऐसे में दोबारा बोवनी करना पड़ सकता है।

 

Share:

Next Post

ब्रिटेन में 19 जुलाई से खुलने लगेगा लॉकडाउन, जानें क्‍या है इंडोनेशिया, ईरान और अमेरिका के हालात

Mon Jul 5 , 2021
लंदन। ब्रिटेन(Britain) में डेल्टा वैरिएंट(Delta Variant) के खतरों के बाद अब अच्छी खबर मिल रही है। पिछले कुछ सप्ताह के आंकड़े उत्साहजनक हैं। 19 जुलाई से लाकडाउन और पाबंदियों में ढील (Relaxation in lockdown and restrictions from July 19) दी जा सकती है। मास्क की अनिवार्यता भी समाप्त हो जाएगी। ब्रिटेन के आवास मंत्री राबर्ट […]