भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

कोरोनाकाल में मंडियों की आय 400 करोड़ रुपए घटी

  • आज से मंडी शुल्क की छूट खत्म, अब डेढ़ रूपए लगेगा खरीदी पर टैक्स

भोपाल। कोरोनाकाल से प्रभावित हुए व्यापारियों को राहत देने के लिए सरकार ने मंडी शुल्क में जो छूट दी थी, उस आज से समाप्त कर दिया गया है। आज के बाद डेढ़ रुपए प्रति सौ रुपए की खरीद पर शुल्क लगेगा। गौरतलब है कि कोरोनाकाल में मंडियों की आय 400 करोड़ रूपए घटी है। दरअसल, मंडी शुल्क में राहत देने का असर अब विभागों पर नजर आ रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को ग्रामीण सड़कों के लिए राशि नहीं मिल पा रही है। कृषि अनुसंधान एवं अधोसंरचना निधि, गो-संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम और मंडी समितियों में किसानों की सुविधा के लिए कराए जाने वाले काम भी प्रभावित हुए हैं। मंडियों की आय में मंडी प्रांगण के बाहर कोई शुल्क न होने और मंडी शुल्क में कमी की वजह से 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमी आई है। वहीं, कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन पर होने वाले खर्च यथावत हैं। इसे देखते हुए अब मंडियों से आय बढ़ाने के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इसमें मंडियों की परिसंपत्तियों का उपयोग भी किया जाएगा। प्रदेश में मंडियों को लगभग 1200 करोड़ रुपए की आय पिछले सालों में मंडी शुल्क से होती रही है। पहले प्रति सौ रुपये की खरीद पर दो रुपए शुल्क लिया जाता था। इसे घटाकर पिछली शिवराज सरकार में डेढ़ रुपए कर दिया था। कोरोनाकाल में मंडियां बंद रहीं और कारोबार पूरी तहत ठप हो गया। सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए उपार्जन केंद्र बढ़ाए और व्यापारियों को सौदा पत्रक के माध्यम से खरीद की अनुमति दे दी। एक मई 2020 को अध्यादेश जारी कर सरकार ने मंडी प्रांगण के अलावा अन्य जगहों को व्यापार क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया। यहां उपज की खरीद-बिक्री को किसी भी प्रकार के शुल्क और लाइसेंस को प्रतिबंधित किया गया। उधर, मंडी शुल्क डेढ़ रुपये प्रति सौ रुपये से घटाकर पचास पैसे कर दिया गया। कृषि विभाग ने कैबिनेट में बताया शुल्क में कमी के कारण आय में चार सौ करोड़ रुपये कमी संभावित है। वहीं, केंद्रीय अधिनियम के तहत प्रविधान करने के कारण पिछले साल की तुलना में अप्रैल से जून 2020 में आय में 14 प्रतिशत की कमी आई। जुलाई से सितंबर के बीच भी इतनी ही कमी का आकलन है।

डेढ़ रुपये लगेगा शुल्क
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है मंडी शुल्क से जो आय होती है, उसमें से पचास फीसद राशि मंडी बोर्ड के खर्चों की पूर्ति के लिए दी जाती है। ग्रामीण सड़क, गो-संवर्धन एवं संरक्षण, कृषि अनुसंधान और मंडियों में मरम्मत सहित निर्माण कार्यों के लिए करीब 400 करोड़ रुपये हर साल दिए जाते हैं। फिलहाल ग्रामीण सड़कों के लिए ही दो सौ करोड़ रुपए नहीं दिए गए। इसे लेकर विभाग ने शासन से बजट के माध्यम से राशि देने की मांग की है। उधर, विभाग ने मंडियों की आय में वृद्धि करने के लिए 25 मंडियों में पेट्रोल पंप खोलने, कुछ में कृषि बाजार बनाने का प्रस्ताव बनाया है।

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