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भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने ग्वालियर पुलिस द्वारा एफआईआर के लिए आई एक दुष्कर्म पीड़ित युवती को छह बार लौटाए जाने पर संज्ञान लिया है। इस मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, ग्वालियर से चार सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
मानव अधिकार आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्वालियर जिले के कंपू थाने की पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। पुलिस द्वारा एक दुष्कर्म पीड़िता को छह दिन तक बार-बार थाने से लौटाया गया। बीते सोमवार को जब युवती एफआईआर के लिये आई, तो महिला अफसर नहीं होने का हवाला देते हुये उसे नौ घंटे तक थाने में बिठाकर रखा गया। विवाद बढ़ा, तब जाकर आरोपी एसएएफ जवान पर मामला दर्ज किया गया। पीड़िता ने कंपू के थाना प्रभारी के.एन. त्रिपाठी की अभद्र भाषा व एफआईआर दर्ज नहीं करने की धमकी देने का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया है।
आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ग्वालियर के तारगंज निवासी एक युवती की पहचान करीब तीन साल पहले भिण्ड के सोनी स्थित सैंथरी गांव निवासी मनीष भदौरिया पुत्र होतमसिंह से हुई थी। मनीष ग्वालियर स्थित एसएएफ की 13 बटालियन में जवान के पद पर पदस्थ है। उसने शादी का भरोसा दिलाकर युवती के साथ दुष्कर्म किया। जब युवती ने शादी के लिये कहा, तो उसने कहा कि तीन साल तक मेरी पढ़ाई है। मुझे अफसर बनना है। युवती ने दबाव डाला, तो आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली और संबंध भी बनाए। इसी बीच युवती को उसके किसी और युवती से भी संबंध होने का पता लगा। जिसके बाद उसने आरोपी जवान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्णय लिया था।