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बड़ी हैरान करने वाली है चंद्रयान-3 के साइंटिस्ट सोमनाथ की कहानी, कई चुनौतियों का किया सामना

नई दिल्ली (New Delhi) । चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता सैकड़ों वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और टेक्नीशियनों (Scientists, Engineers and Technicians) की हजारों घंटे की रिसर्च और एनालिसिस का नतीजा है। इनकी बदौलत विक्रम लैंडर के चांद के दक्षिणी क्षेत्र में उतरने के साथ ही भारत ने पिछले महीने इतिहास रच दिया। 14 दिन की रिसर्च के बाद अब प्रज्ञान और विक्रम सो रहे हैं। चांद पर दोबारा धूप खिली है और इसरो की तरफ से उन्हें फिर से उठाने की कोशिशें हो रही हैं। इस पूरे घटनाक्रम में एक चेहरा जो हम सभी भारतीयों के दिमाग में बस गया है वो इसरो के बॉस एस सोमनाथ (S Somnath) का है। जी हां, उनकी मुस्कुराहट भारतीयों को ऊर्जा से भर देती है, वह शुभ संकेत या कहें हमारी स्पेस पावर का प्रतीक बन गई है लेकिन खुद इसरो चेयरपर्सन के लिए सब कुछ आसान नहीं था।

एक इंटरव्यू में सोमनाथ ने अपने करियर में आई कई चुनौतियों की चर्चा की। इसमें एक बात यह भी थी जिस पर आज की तारीख में शायद ही लोग भरोसा करें कि इसरो में उनकी पोजीशन एक समय खतरे में पड़ गई थी। जी हां, तब सोमनाथ को लगने लगा था कि उन्हें निकाला जा सकता है।

मेरे जीवन में सब अच्छा नहीं था
सोमनाथ ने इंटरव्यू में कहा, ‘ऐसा मत सोचिए कि जीवन में मेरे लिए सब कुछ अच्छा था। मुझे व्यक्तिगत जीवन और ऑफिशियल लाइफ में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आपको (अपने आप के बारे में) ऑर्गनाइजेशन से बाहर निकाला जा सकता था… आपकी पोजीशन को खतरे में डाला जा सकता था… कभी-कभी आपके साथ सम्मान से व्यवहार भी नहीं किया जाता था। अपने करियर का जिक्र करते हुए भारत के टॉप स्पेस साइंटिस्ट ने एक लॉन्च से पहले इस्तेमाल किए गए कठोर शब्दों को याद किया। उन्होंने बताया, ‘कई साल पहले… GSLV मार्क-III के लॉन्च में फेल होने की आशंका थी लेकिन किसी को (लॉन्च का) तो निर्णय लेना था और मैंने लिया। मुझे चुनौती दी गई थी… कि यह एक बहुत बड़ी नाकामी होगी।’ उन्होंने आगे कहा कि लेकिन वहां कोई और नहीं था और मैंने यह किया… और यह सफल रहा। जीवन में इस तरह की कई चीजें होती हैं।


मुस्कुराते हुए इसरो प्रमुख ने कहा कि फिर भी उनकी आलोचना की गई और उनकी क्षमता पर सवाल खड़े किए गए लेकिन उन्होंने खुद को कुछ लोगों के मूर्खतापूर्ण शब्दों… नासमझी भरे कृत्यों से ऊपर उठना सिखाया। सोमनाथ ने कहा, ‘आप (इस भूमिका के लिए) उपयुक्त नहीं हैं। मैं ऐसी आलोचना सुनता रहता था लेकिन आपको खुद को ऐसी चीजों से ऊपर उठाना होता है। एक बार जब आप उस पॉइंट (आत्मविश्वास) पर पहुंच जाते हैं तो आप इस तरह के लोगों को पाते हैं और मुस्कुरा सकते हैं। उनकी नासमझी भरी बातों को नजरअंदाज किया जा सकता है।’

मेरी अपनी सीमाएं थीं
उन्होंने कहा, ‘ऐसा कैसे करें? दरअसल, आप एक प्रक्रिया से गुजरते हैं… अपने आत्मविश्वास को विकसित करना सीखें और एक बार जब आप ऐसा करते हैं तो आप ऐसे लोगों और उनके शब्दों को लेकर चिंतित नहीं होते हैं।’ भारत के चांद पर पहुंचने का सपना साकार करने वाला शख्स मृदुभाषी और विद्वान हैं और खुद को एक एक्सप्लोरर बताते हैं।

सोमनाथ साफ कहते हैं, ‘तकनीकी क्षमताओं और अपनी व्यक्तिगत क्षमता दोनों को लेकर मेरी अपनी सीमाएं थीं। आप अपने तरीके से इस पर काम करते हैं। मेरे लिए मेरा मानसिक और शारीरिक विकास और विषय के ज्ञान में बढ़ोतरी कई लोगों के कारण हुई जो अलग-अलग समय पर मेरे जीवन में आए और मुझमें गहरी समझ पैदा हुई।’

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