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जिस गांव ने आज तक नहीं देखी बिजली की रोशनी, वहां के आदिवासियों के बच्चों को अब फ्री मिलेगी शिक्षा

 

सिंगरौली। जिले के सरई तहसील अंतर्गत घने जंगलों और पहाड़ी से घिरा आदिवासियों के गांव बासी में अब बच्चे जंगल से लकड़ियां बीनने नहीं, बल्कि हर दिन पढ़ाई करने जाते हैं और यह सब कुछ संभव हो पाया है एक सामाजिक संस्था के सहयोग से। बासी बेरदहा पंचायत का बासी गांव मुख्य सड़क से पांच किमी किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है, जो दुर्गम पहाड़ी और घने जंगलों से घिरा हुआ है।

आज भी यह गांव बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर है और यहां तक पहुंचने के लिए पैदल चलना ही एकमात्र विकल्प है। बासी गांव में 22 आदिवासी परिवार रहते हैं, जिनकी कुल आबादी 106 है। बूंद-बूंद पानी के लिए भी लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ता है और नदी से पानी लाकर जैसे-तैसे अपना गुजारा करते हैं। अब तक इस गांव के लोगों ने बिजली की रोशनी नहीं देखी।

प्रदेश में गरीबों के लिए काम कर रही एक सामाजिक संस्था ने गांव की दिशा बदलने का बीड़ा उठाया है। संस्था के कुछ लोगों ने पहले गांव की समस्याएं जानीं। टीम ने देखा कि आज भी यह गांव शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। इस बात की जानकारी भी मिली कि बासी गांव के निवासी शिक्षा के अभाव में सरकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं उठा पाते। यहां दूर-दूर तक कोई सरकारी अथवा प्राइवेट स्कूल नहीं है। ऐसे में इस संस्था ने सबसे पहले इस गांव के बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है।


जिस गांव में बच्चों की पढ़ाई लगभग नामुमकिन थी, वहां नौनिहालों के हाथों में कॉपी, किताब और स्कूल बैग दिखना किसी सपने से कम नहीं। पीढ़ियों से इस समुदाय का कक्षाओं, स्कूलों या शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं रहा है। संस्था इन बच्चों के जीवन में एक नया अध्याय लिखना चाहता है। इस गांव की रहने वाली कुमारी नींद कुंवर बहुत मुश्किल से छत्तीसगढ़ में अपने रिश्तेदार के घर रहकर 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर गांव लौटी हैं। संस्था ने उन्हें शिक्षिका नियुक्त किया और गांव के सभी 22 बच्चों को अपने घर में ही पढ़ाने की अहम जिम्मेदारी सौंपी है। इसके साथ ही नींद कुंवर को आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप अथवा अन्य वित्तीय मदद भी संस्था की तरफ से दी जाएगी।

बासी गांव पहुंची टीम ने स्थानीय लोगों से मिलकर बच्चों को शिक्षित करने और इस गांव को विकसित करने की दिशा में सहयोग मांगा। इस मौके पर बच्चों को कॉपी, किताब के साथ निःशुल्क स्कूल बैग बांटते हुए चीफ ऑफ क्लस्टर ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से पढ़ाई के लिए भेजने में सहयोग करें साथ ही उन्होंने इस गांव के विकास में हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया। जल्द ही इस गांव में संस्था के तरफ से निःशुल्क सोलर लाइट लगाने साइकिल वितरण की योजना पर अमल किया जाएगा, ताकि बच्चों को पढ़ाई कार्य में ज्यादा से ज्यादा सहयोग मिल सके।

इस मौके पर मझौली पाठ के सरपंच देवी सिंह, सेवानिवृत शिक्षक मोहन सिंह, बासी बेरदहा गांव स्थित शासकीय मध्य विद्यालय के शिक्षक अलेक्स केरकेट्टा, प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक माइकल खलको एवं ग्रामीणों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया। मझौली पाठ के सरपंच देवी सिंह ने कहा कि, “अशिक्षित बच्चों के लिए संस्था द्वारा उठाया गया यह कदम काफी सराहनीय है और इसके लिए धन्यवाद देते हैं। “जबकि बासी गांव के पूर्व वार्ड सदस्य मनफेर बैगा का कहना है कि, “उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी नहीं सोचा था कि उनके बच्चे कभी पढ़ पाएंगे और अब बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए संस्था को धन्यवाद दे रहे हैं।”

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